भगवान श्रीकृष्ण को माखन का भोग जरूर लगाना चाहिए. माखन कान्हा को सबसे प्रिय है.
पूजन के दौरान भगवान श्रीकृष्ण को खीरा जरूर चढ़ाना चाहिए. मान्यता है कि खीरा चढ़ाने से श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं और भक्तों के कष्ट दूर कर देते हैं.
जन्माष्टमी के दिन खीरे को काटकर उसके तने से अलग किया जाता है. इसे श्रीकृष्ण के माता देवकी से अलग होने का प्रतीक माना जाता है. ऐसा करने के बाद विधि-विधान से पूजा शुरू होती है.
जन्माष्टमी के दिन खीरा काटने की प्रक्रिया को नल छेदन कहा जाता है. इस दिन पूजा के दौरान कान्हा को खीरा चढ़ाएं.
जन्म के समय जिस तरह बच्चों को गर्भनाल काट कर गर्भाशय से अलग किया जाता है. ठीक उसी प्रकार श्री कृष्ण जन्मोत्सव के मौके पर खीरे की डंठल को काटकर कान्हा का जन्म करने की परंपरा है.
जन्माष्टमी के दिन रात्रि ठीक 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. इस दिन खीरे की डंठल को खीरे से अलग किया जाता है. इसके बाद शंख बजा कर बाल गोपाल के आने की खुशियां मनाई जाती है.
मान्यता है कि जन्माष्टमी के दिन खीरा चढ़ाने से भक्तों के सारे कष्ट दूर होते हैं.