कानपुर स्थित जेके मंदिर प्रसिद्ध राधाकृष्ण मंदिरों में शुमार है. रोजाना यहां हजारों की संख्या में भक्त दर्शन करने आते हैं. मंदिर की भव्यता देखकर हर कोई इसे दिल्ली का अक्षरधाम मंदिर कहता है. खास बात यह है कि यहां दर्शन करने आए नव जोड़ों के परिवार रिश्ते तय करने के लिए भी आते हैं.
मंदिर का निर्माण साल 1960 में शुरू हुआ था. आज भी मंदिर में कुछ न कुछ निर्माण हो रहा है.
इस मंदिर को गोलोकवासी सेठ कमलापति सिंहानिया की पत्नी रामप्यारी देवी ने बनवाया था.
मंदिर में राधाकृष्ण के साथ नर्मदेश्वर महाराज, भगवान अद्र्धनारीश्वर, लक्ष्मी नारायण व हनुमान जी की मूर्तियां स्थापित हैं.
कहा जाता है कि सिंघानिया घराना मीरजापुर से व्यापार के लिए कानपुर आ गया था.
यहां कारोबार में इतना इजाफा हुआ कि कुछ दिन बाद यह जेके ग्रुप बन गया.
एक साधु ने कहा था कि जब तक मंदिर में निर्माण होता रहेगा संघानिया परिवार आगे बढ़ता रहेगा.
यही वजह है कि जब से मंदिर बनने की शुरुआत हुई तब से आज तक यहां काम चलता रहता है.
मंदिर में जन्माष्टमी का त्योहार बेहद विशेष होता है. इस दिन भव्य आयोजन होता है.
सात दिन तक मंदिर में विशेष कार्यक्रमों का सिलसिला जारी रहता है.
एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.