पाकिस्तान से हुए करगिल युद्ध में शहीद हुए वीर जवानों को याद करते हुए हर साल 26 जुलाई को करगिल विजय दिवस पूरा देश मनाता है.
पाकिस्तान के खिलाफ 1999 में हुए करगिल युद्ध में महिला योद्धा फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना पहली भारतीय महिला पायलट थीं, जिन्होंने इस युद्ध में पाकिस्तानियों को पस्त कर दिया था.
गुंजन लखनऊ में पैदा हुईं गुंजन सक्सेना ने फ्लाइंग ऑफिसर (Flying Officer) रहते हुए कारगिल युद्ध (Kargil War) में कई सैनिकों की जान बचाई थी.
करगिल गर्ल के नाम से मशहूर गुंजन सक्सेना करगिल युद्ध में शामिल होने वाली भारत की ओर से एकमात्र महिला रही. गुंजन एक आर्मी ऑफिसर की बेटी हैं.
गुंजन उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से पढ़ाई की है और ग्रेजुएशन के समय ही दिल्ली में सफदरगंज फ्लाइंग क्लब को उन्होंने जॉइन कर लिया था.
इस दौरान उन्हें उड़ान भरने की बेसिक ट्रेनिंग दी गई थी और फिर एसएसबी परीक्षा पास कर भारतीय वायुसेना में गुंजन शामिल हुई.
1994 भारतीय वायुसेना में गुंजन को महिला ट्रेनी पायलट्स के पहले बैच में शामिल किया गया जिसमें कुल 25 महिलाएं थीं.
महज 25 साल की गुंजन की पोस्टिंग 132 फॉरवर्ड एरिया कंट्रोल (FAC) में की गई. भारत पाकिस्तान का युद्ध जब शुरू हो गया तो गुंजन को श्रीनगर भेजा गया.
श्रीनगर में तब चार हेलीकॉप्टर व 10 पायलटों की टीम तैनात की गई थी जिसमें उधमपुर से श्रीनगर रवाना हुईं फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन एकमात्र महिला थी और चीता हेलीकॉप्टर उड़ा रहीं थीं.
युद्ध में घायलों को बचाने की गुंजन को जिम्मेदारी सौंपी गई, किसी हथियार के बिना ही उन्होंने कई जवानों को अस्पताल सुरक्षित पहुंचाया. बहादुरी के लिए गुंजन सक्सेना को शौर्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया.