इस महाशिवरात्रि पर 2 केदार के दर्शन होंगे एक साथ, इस स्थान का शिव से है गहरा नाता
भोलेनाथ के भक्तों को महाशिवरात्रि का पूरे साल इंतजार रहता है. अपने अराध्य भोले नाथ को खुश करने का इससे अच्छा कोई समय नहीं हो सकता.
माना जाता है कि भोले नाथ पत्र- पुष्प औऱ 1 लोटा जल से खुश हो जाते हैं. यहां आगे हम आपको 1 स्थान पर 2 केदार के दर्शन के बारे में बताने जा रहे हैं. जानें कैसे महाशिवरात्रि पर आप इस स्थान पर जा सकते हैं....
महाशिवरात्रि का पर्व इस वर्ष 8 मार्च शुक्रवार के दिन है. शिवभक्तों को बड़ी बेसब्री से इस दिन का इंतजार रहता है. शास्त्रों के अनुसार भगवान भोले नाथ को खुश करने का इससे अच्छा कोई समय नहीं हो सकता.
भक्त इस दिन भगवान शिव को जल, दूध चढ़ाने के लिए शिवालय जाते हैं. इन दिन कई शिवभक्त ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करने जाते हैं तो कोई देश के बड़े- बड़े शिवमंदिर जाते हैं.
शिवभक्तों के मन में केदारनाथ धाम के लिए बहुत श्रद्धा होती है, लेकिन इस समय केदार के कपाट बंद होने के कारण वहां नहीं जा सकते.
भक्तों के पास केदारनाथ जाने का विकल्प तो नहीं है लेकिन केदारनाथ के विग्रह की पूजा इस समय पर उखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में होती है.
शीतकाल में भक्त केदारनाथ तो नहीं जा सकते लेकिन उखीमठ में आप भगवान भोलेनाथ के दर्शन कर सकते हैं, और अपनी पूजा से शिव भगवान को खुश कर सकते हैं.
यहां जाने वाले भक्तों को डबल फायदा होने वाला है. दरअसल यहां पर शीतकाल में दूसके केदार मद्दमहेश्वर के भी दर्शन कर सकते हैं. इन दिनों मद्दमहेश्वर की विग्रह पूजा भी उखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में हो रही है.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मंधाता सम्राट और भगवान राम के पूर्वज ने सांसारिक सुखों को छोड़ दिया था और एक पैर पर खड़े होकर उन्होंने यहां 12 वर्षों तक तपस्या की थी.
उनकी तपस्या के अंत में भगवान शिव में उन्हें ओमकार के रूप में दर्शन दिए थे और उन्हें आशीर्वाद भी दिया था. तभी से इस मंदिर का नाम ओंकारेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है.