अश्वत्थामा बलिर्व्यासो हनुमांश्च विभीषणः कृपः परशुरामश्च सप्तैते चिरजीविनः सप्तैतान् स्मरेन्नित्यम् मार्कण्डेयम् तथाष्टमम् जीवेद् वर्षशतं सोऽपि सर्वव्याधिविवर्जितः
यह सप्तचिरंजीवियों में से एक तो नहीं, पर दीर्घायु ऋषि थे. अतः उनके नाम के साथ भी एक श्लोक आता है.
बलि सप्तचिरजीवियों में से एक, पुराणप्रसिद्ध विष्णुभक्त, दानवीर, महान् योद्धा थे. विरोचन पुत्र बलि सभी युद्ध कौशल में निपुण थे.
परशुराम जी त्रेता युग (रामायण काल) में एक भट्ट ब्राह्मण ऋषि के यहाँ जन्मे थे.जो विष्णु के छठा अवतार हैं.
महाभारत युद्ध में ये कौरव-पक्ष के एक सेनापति थे. ऐसा माना जाता है कि उन्हें भगवान शिव से अमरता का वरदान प्राप्त है.
कृपाचार्य कौरवों और पांडवों के गुरू थे. सात चिरंजीवियों में वे भी एक हैं.
महर्षि कृष्णद्वैपायन वेदव्यास महाभारत ग्रंथ के रचयिता थे.
रावण के भाई विभीषण ने लंका में रहकर भी भगवान श्री राम का साथ दिया.
भगवान श्रीराम के सेवक, जिन्होंने रावण की लंका में आग लगाई.