मथुरा के कोसी कलां में सिद्ध शनि देव का मंदिर है. यह घने जंगलों में हैं इसलिए इसे कोकिलावन धाम कहते हैं.
शनि देव व उनके गुरु बरखंडी का यह प्राचीन मंदिर है. द्वापरयुग में श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने के लिए शनिदेव ने कड़ी तपस्या की थी.
जिसके बाद शनिदेव को कोयल के रूप में श्रीकृष्ण ने दर्शन दिया था. श्रीकृष्ण ने कहा था कि नंदगांव से सटा कोकिला वन शनिदेव का वन है
कृष्ण जी ने कहा था कि शनिदेव की पूजा व वन की परिक्रमा करने पर मेरी और शनिदेव दोनों की उस व्यक्ति पर कृपा होगी.
इस तरह कोकिलावन के शनिदेव मंदिर को सिद्धि प्राप्त हुई. श्रीकृष्ण ने शनि देव से कहा आप यही सदैव वास करिए.
कोकिला वन की पौराणिक कथा है कि मां यशोदा ने उन्हें श्रीकृष्ण के दर्शन ये सोचकर नहीं करने दिया कि कहीं उनकी वक्र दृष्टि श्रीकृष्ण पर न पड़ जाएं.
हालांकि पहले ही सभी देवी देवता भगवान के बालरूप के दर्शन पा चुके थे और शनिदेव को दर्शन न मिलने से वे निराश हो गए.
फिर श्रीकृष्ण के बाल रूप के दर्शन के लिए शनिदेव ने कड़ी तपस्या की. जिसके बाद श्रीकृष्ण ने कोयल के रूप में उन्हें दर्शन दिया जहां दर्शन दिया उसका नाम कोकिला वन पड़ गया.
पौराणिक पात्रों की यह कहानी धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों में किए गए उल्लेख पर आधारित है. इसके एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.