सनातन धर्म में शंख का विशेष महत्व है. दिवाली पर दक्षिणावर्ती शंख की पूजा की जाती है.
मान्यता है कि दक्षिणावर्ती शंख की पूजा करने के बाद ही मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं.
असल में दक्षिणावर्ती शंख को मां लक्ष्मी का भाई माना गया है. यही वजह है कि मां लक्ष्मी अपने साथ-साथ अपने भाई की पूजा से प्रसन्न होती हैं.
दिवाली के दिन प्रदोष काल में जिस समय मां लक्ष्मी की पूजा का शुभ मुहूर्त होता है, उसी समय दक्षिणावर्ती शंख में गंगाजल भरकर पूजा स्थान पर साफ वस्त्र के ऊपर रखें.
इसके बाद ओम् लक्ष्मी सहोदराय नमः मंत्र को बोलते हुए 108 बार जाप करें. इसके बाद धूप, दीप, चंदन, अक्षत इत्यादि से शंख की पूजा करें.
पूजन के बाद इस दक्षिणावर्ती शंख को लाल वस्त्र में लपेटकर धन स्थान या तिजोरी में रख दें. इसके साथ ही रोज उसकी पूजा करें.
इसके अलावा दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर रखना शुभ माना जाता है. इस जल का पूरे घर में छिड़काव करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है.
आज दिवाली पर आप दक्षिणावर्ती शंख को गंगाजल से साफ कर लें और याद रखें कि इस जिस शंख की पूजा की जाती है उसे बजाना नहीं चाहिए.
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