रामचरित मानस(रामयण) सभी ने सुनी या पढ़ी होगी. राम और रावण के बीच इस युद्ध में कई ऐसे योध्दा थे जिन्हें मारना आसान नही था.
आज हम एक ऐसे ही योद्धा के बारे में बात करे रहे है. ये और कोई नहीं बल्कि रावण का पुत्र अतिकाय था जिसने कुछ समय के लिए लक्ष्मण जी को भी परेशान कर दिया था.
अतिकाय रावण की दूसरी पत्नी दम्यमालिनी का पुत्र था. अतिकाय अपने पिता के समान बलशाली और बुद्धिमान था.
अतिकाय के पास ब्रह्मा जी से प्राप्त एक ब्रह्म कवच था जो उसे दिव्यास्त्रों के प्रहार से बचाता था.
रामयण के युद्ध में एक समय ऐसा आया था जब रावण की सेना बुरी तरह परास्त हो चुकी थी.
उस समय अतिकाय न युद्धभूमि में जाकर लक्ष्मण जी को ललकारा, लेकिन कवच की वजह से उसे मार पाना लक्ष्मण जी के लिए मुश्किल हो रहा था.
इसके बाद देवताओं ने लक्ष्मण जी को बताया कि इस राक्षस का अंत सिर्फ ब्रह्मअस्त्र से हो सकता है. इसलिए इस पर ब्रह्मअस्त्र का प्रहार करें
तब हनुमान जी ने लक्ष्मण की मदद करने का फैसला किया. हनुमान जी ने लक्ष्मण को अपने कंधे पर बैठा लिया और उन्हें आसमान में ले गए.
फिर हनुमान जी ने अतिकाय पर ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया. ब्रह्मास्त्र ने अतिकाय के ब्रह्म कवच को भेद दिया और उसे मार डाला.
यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE UPUK इसकी पुष्टि नहीं करता है.