उत्तराखंड में UCC लागू होने के बाद कई नियमों में बदलाव किए जाएंगे. इनमें से 1 है शादी और लिव इन रिलेशनशिप. जानें क्यों,कब और कैसे रजिस्ट्रेशन करवाना होगा लिव इन रिलेशनशिप?. क्या इन नियम का पालन ना करने वालों को जेल हो सकती है?....
उत्तराखंड विधानसभा में पास होने के बाद यूनिफॉर्म सिविल कोड विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई है. राज्यपाल ने यूसीसी विधेयक राष्ट्रपति को भेजा था.
समान नागरिक संहिता (य़ूसीसी) विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है. अब नियमावली बनने के बाद इसे राज्य में लागू कर दिया जाएगा. यूनिफॉर्म सिविल कोड विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी की पुष्टि सचिव गृह शैलेश बगोली ने दी.
आगे जाने इस कानून के लागू होने के बाद लिव में रहने वालो पर क्या फर्क पड़ेगा. कैसे होगा लिव इन रजिशट्रेशन? और क्या है इसमें सजा का प्रावधान?.
आगे बताए गए सभी नियम लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले या इसकी तैयारी करने वालों के लिए हैं. उत्तराखंड का मूल निवासी हो या न हो सबको इन नियमों का पालन करना होगा.
लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले को जिले के रजिस्ट्रार के पास जाकर रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. ऐसी रिलेशनशिप में रहने वाले 21 साल से कम उम्र के लड़के-लड़कियों को रजिस्ट्रेशन के लिए माता-पिता की सहमति लेनी होगी.
अगर कोई कपल बिना सूचित किए एक महीने से ज्यादा लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहा होगा, तो उन्हें तीन महीने की जेल की सजा या 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है.
रजिस्ट्रेशन के लिए दी गई जानकारी को संबंधित पुलिस थाने के प्रभारी द्वारा चेक की जाएगी. रजिस्ट्रेशन के दौरान अगर गलत जानकारी दी जाती है, तो दोषी पाए जाने पर तीन महीने की जेल या 25 हजार रुपये का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है.
इस बिल के अनुसार अगर दोनों के बीच पारिवारिक संबंध या खून का रिश्ता है ऐसे लिव-इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा या उसे वैध नहीं माना जाएगा.
दोनों पार्टनर में से कोई भी नाबालिग नहीं होना चाहिए. अगर दोनों में से कोई एक पहले से शादीशुदा है और वो लिव-इन में किसी के साथ रह रहा है तो वो भी अवैध मानी जाएगी.
लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के दौरान अगर बच्चा पैदा होता है तो उसे भी वैध माना जाएगा.
इसके साथ ही अगर रिलेशनशिप टूटती है तो महिला अदालत जा सकती है और गुजारा भत्ता की मांग कर सकती है.
लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले दोनों पार्टनर में से कोई एक भी अगर इसे खत्म करना चाहता है, तो इसकी जानकारी भी देनी होगी. रिलेशनशिप खत्म करने से पहले डिक्लेरेशन देनी होगी.
18 साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में साफ किया था कि 'बालिग होने के बाद व्यक्ति किसी के साथ भी रहने या शादी करने के लिए आजाद है.