कौन से हैं भगवान गणेश के आठ अवतार जानिए

आठ अवतार

गणेश जी के प्रमुख हैं और हर अवतार का अपना एक अलग महत्व है जिन्हें भगवान ने असुरों के नाश के लिए धारण किया.

मुद्गल पुराण

मुद्गल पुराण के अनुसार गणेश जी के अलग-अलग स्वरूपों की उपासना कर अपने अलग-अलग वृत्तियों पर व्यक्ति नियंत्रण पा सकता है.

पहला स्वरूप

वक्रतुंड स्वरूप धारणकर गणेश जी ने मत्सरासुर का अहंकार को तोड़ा था.

दूसरा स्वरूप

एकदंत स्वरूप धारणकर गणेश जी ने मदासुर को पराजित किया था.

तीसरा स्वरूप

महोदर स्वरूप धारणकर गणेश जी ने मोहासुर का अहंकार भंग किया था. यह उनका ज्ञान स्वरूप है.

चौथा स्वरूप

गजानन धारणकर गणेश जी ने लोभासुर का अहंकार नष्ट किया. यह उनका सांख्य स्वरूप है.

पांचवें स्वरूप

लम्बोदर स्वरूप धारणकर गणेश जी ने क्रोधासुर को हराया, यह उनका शक्ति स्वरूप है.

छठवें स्वरूप

विकट स्वरूप धारणकर गणेश जी ने कामासुर को पराजित किया, यह उनका सौर स्वरूप है.

सातवां स्वरूप

विघ्नराज स्वरूप धारणकर गणेश जी ने ममतासुर का अहंकार भंग किया. यह उनका श्री विष्णु स्वरूप है.

आठवां स्वरूप

धूम्रवर्ण स्वरूप धारणकर गणेश जी ने अहंतासुर को परास्त किया, यह उनका भगवान शिव स्वरूप है.

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