लखनऊ में सबसे पहली बाढ़ 1923 में आई थी, लेकिन 1960 की बाढ़ उससे ज्यादा भयानक थी. 30 मिनट में डूब गया था पूरा लखनऊ
48 घंटे तक घनघोर बारिश के बाद लोग घरों की छतों पर शरण ली, पुराने लखनऊ में सरकारी नावों से लोगों को बचाया गया.
उफनाती गोमती नगर का पानी तमाम बड़ी इमारतों के भीतर भर गया था. इमामबाड़े और मंदिर-मस्जिदों की छतों लोगों ने शरण ली.
1923 में लखनऊ में 75 000 क्यूसेक पानी के साथ एक विनाशकारी बाढ़ आई थी.यह प्रलय के समान थी.
गोमती नदी अपने किनारों से सैलाब की तरह बह निकली और शहर के कई हिस्सों में 5 से सात फीट तक पानी भर गया.
बाढ़ से पुराने शहर, सिविल लाइंस और छावनी क्षेत्रों में गले तक पानी भर गया. लोगों को ऊंचे स्थानों पर शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा
1923 की बाढ़ में सड़क क्या बिजली-दूरसंचार, स्कूल-अस्पताल समेत पूरा नेटवर्क ठप पड़ गया था. सैकड़ों लोग इसमें मारे गए.
1923 की बाढ़ के पहले बटरगनी क्षेत्र में तटबंध बनाया गया था. लेकिन 1960 में भी आए सैलाब ने बांध को तोड़ दिया. 30 से 40 000 क्यूसेक पानी निचले इलाकों में घुस गया.
1960 की बाढ़ में पुराना लखनऊ, हजरतगंज, कैसरबाग, इमामबाड़ा, विश्वविद्यालय, हुसैनाबाद, नक्खास सब भयानक बाढ़ में डूब गए थे.
बाढ़ वाले इलाकों में हाथी, साइकिल रिक्शा और नावों का इस्तेमाल राहत सामग्री बांटने में किया. सेना की टुकड़ियों और हेलीकॉप्टरों को तैनात किया गया.
7 सितंबर 1971 की लखनऊ में आई बाढ़ गोमती नदी के तटबंध में दो दरारों के कारण हुई थी. सेना और सिविल इंजीनियरों की मदद ली गई. दो महीने में 268 की मौत हुई
1971 की बाढ़ लखनऊ में दूसरी सबसे बड़ी बाढ़ थी, जिसमें 107000 क्यूसेक पानी बहा था. पूरे लखनऊ में अंधेरा छा गया था.
अगस्त 2008 लखनऊ बाढ़ बड़ी आपदा थी, बाढ़ से एक लाख लोग प्रभावित हुए और 15 लोगों की मौत हो गई. 11 जिलों में सेना की टुकड़ियों और हेलीकॉप्टरों से मदद पहुंचाई गई.
2021 में लखनऊ और उसके आस-पास के जिलों में बाढ़ आई. सड़कें, पुल, रेलवे ट्रैक ध्वस्त हो गए नाव-हेलीकॉप्टर और ड्रोन को तैनात किया गया.
पौराणिक पात्रों की यह कहानी धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों में किए गए उल्लेख पर आधारित है. इसके काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.