जया किशोरी ने कलयुग की सबसे अच्छी बात बताई जिसमें उन्होंने अर्जुन के पोते और अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित की कथा बताई.
अभिमन्यु पुत्र राजा परीक्षित की कथा बताते हुए जया किशोरी ने कहा कि कलयुग को राजा ने पहली बार देखा था.
एक बैल और गऊ को नदी तट पर बातियाते राजा ने सुना. बैल धर्म और गाय धरती माता के प्रतीक के तौर पर कथा में बताई गई हैं.
दोनों को राजा ने निर्दयी संसार के बारे में बात करते हुए सुना. तब के अधर्म, पाप, झूठ, चोरी और कपट, दरिद्रता की बात सुने गए.
एक काला व्यक्ति यानी कलयुग आकर इसी समय दोनों को मारने लगता है.
कलियुग राजा परीक्षित को ये अच्छा न लगा. राजा उसे मारने के लिए दौड़े कि उसी समय कलियुग ने झट से कहा कि मेरे अंदर अवगुण तो है पर गुण भी है.
राजा परीक्षित को कलयुग ने बताया कि कलयुग का समय भगवन प्राप्ति का सबसे आसान युग होगा.
रामचरितमानस की एक चौपाई के उल्लेख के साथ जया किशोरी ने कहा कि कलियुग केवल नाम अधारा होगा.
भगवान को पाना हो तो कलियुग में तो लम्बे यज्ञ, हवन या पूजा आदि विधान की नहीं आवश्यकता होगी बल्कि भगवान नाम और हरी नाम केवल से ही मनुष्य मुक्ति पा सकेगा.
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