ठंड के दिनों में प्रदूषण हम सभी के स्वास्थ्य के लिए संकट पैदा करता है. हवाओं में घुलता प्रदूषण का ये जहर फेफड़ों को सीधे तौर पर नुकसान पहुंचाने का काम करता है. इससे लंग्स कैंसर होने की संभावना भी अधिक बढ़ जाती है.
फेफड़े ही वातावरण से वायु को खींचकर उससे ऑक्सीजन को छानकर खून के कतरे-कतरे में पहुंचाते हैं, साथ ही शरीर के अंदर बन रहे कार्बनडायऑक्साइड को बाहर निकालने का काम करते हैं.
फेफड़े बॉडी के पीएच को बैलेंस कर बाहरी आक्रमण से हमें बचाते हैं. ऐसे में फेफड़ों का स्वस्थ रहना बेहद जरूरी हो जाता है.
त्रिफला आयुर्वेद की तीन सबसे शक्तिशाली जड़ी बूटियों ‘विभीतकी’, ‘हरीतकी’ और ‘आंवला’ से मिलकर बनता है.
आयुर्वेद में त्रिफला को फेफड़ों की गंदगी को साफ करने के लिए सबसे बेहतरीन उपचार माना गया है.
इसमें मौजूद एंटी बैक्टीरियल, एंटी इंफ्लेमेटरी गुण इसे मजबूत औषधि बनाते हैं.
त्रिफला में पाए जाने वाले एंटी-ऑक्सिडेंट जैसे एलाजिक एसिड, टैनिन और फ्लेवोन भी फेफड़ों को अधिक मजबूती देकर उसमें जमा गंदगी को जड़ से साफ करने में असरदार साबित हो सकते हैं.
इसके सेवन से गले की सूजन कम होती है और श्वसनमार्ग के रोगों से भी आराम मिलता है.
फेफड़ों की सफाई के लिए एक लीटर पानी में करीब 100 एमजी त्रिफला को डालकर तब तक उबालें, तब तक पानी आधा ना हो जाए. पानी हल्का गुनगुना हो जाने के बाद सुबह खाली पेट घूंट-घूंट कर इसका सेवन करें.