कहां मौजूद हैं कर्ण के कुंडल और कवच

Padma Shree Shubham
May 23, 2024

सूर्य देव की संतान

माता कुंती और सूर्य देव की संतान कर्ण को जन्म से ही कवच और कुंडल प्राप्त था.

ताकत

कथाओं अनुसार, कवच और कुंडल होने के कारण कर्ण को दुनिया की कोई ताकत हरा नहीं सकती थी.

कवच और कुंडल

महाभारत के युद्ध में कौरवों की ओर से लड़ने वाले कर्ण को कवच और कुंडल के साथ हरा पाना पांडवों के लिए असंभव हो रहा था.

मृत्यु का कारण

कर्ण को दान देने के लिए भी जाना जाता है. उसकी यही दान देने की आदत उसकी मृत्यु का कारण बन गई.

कवच कुंडल ही मांग लिया

महाभारत के युद्ध के समय पांडवों की जीत सुनिश्चित करने के लिए इंद्र ने कर्ण से दान में उसका कवच कुंडल ही मांग लिया

युद्ध

कर्ण ने अपना दिव्य कवच और कुंडल इंद्र को दान भी कर दिया. इस तरह युद्ध में अर्जुन ने कर्ण का वध किया.

मुद्र के किनारे

कवच और कुंडल से जुड़ी आगे की कथा ये मानी जाती है कि इंद्रदेव ने कर्ण के दिव्य कवच कुंडल को समुद्र के किनारे ही एक स्थान पर छिपाया था.

सुरक्षा

दरअसल, ये कवच और कुंडल दिव्य शक्तियों से युक्त थे ऐसे में इसे गलत तरीके से इस्तेमाल न हो इसका ध्यान रखना था. इसकी सुरक्षा में सूर्य देव व समुद्र देव लग गए.

शक्तिशाली

कहते हैं कि पुरी के पास ही कोणार्क में कवच और कुंडल को छुपाया गया था जो आज भी मौजूद है. कहते हैं कि जो भी इसे हासिल कर लेगा वो शक्तिशाली हो जाएगा.

Disclaimer

यह जानकारी सिर्फ मान्यताओं, धार्मिक ग्रंथों और माध्यमों पर आधारित है. किसी भी जानकारी को मानने से पहले अपने विशेषज्ञ की सलाह ले लें. ये सभी एआई से निकाले गए हैं,

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