महाभारत में द्रौपदी का चीर हरण करने के लिए जब उसे सभा में लाया गया तो कृष्ण जी ने ऐसा चमत्कार कि साड़ी खींचने के बाद भी खुली नहीं बल्कि लंबी होती चली गई.
क्या आप जानते हैं कि कृष्ण भगवान की कृपा के अलावा द्रौपदी के किए दो पुण्य भी थे जिसने उसे चीर हरण से बचाया. द्रौपदी के दो पुण्य के बारे में आइए जानते हैं.
पहला पुण्य- एक बार द्रौपदी गंगा स्नान के लिए गई. तभी वहां एक साधु भी पहले से स्नान कर रहे थे. यहीं स्नान करते समय साधु महाराज की लंगोट पानी में बह गई,
सकुचाए साधु जी नदी से बाहर निकलने की अवस्था में नहीं थे. ऐसे में झाड़ी के पीछे साधु छिप गए.
द्रोपदी ने साधु की सहायता करते हुए अपनी साड़ी से लंगोट बराबर कोना फाड़ा और साधु को दे दिया जिससे प्रसन्न होकर द्रौपदी को आशीर्वाद भी दिया.
दूसरा पुण्य- एक अन्य कथा है कि जब श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध कर दिया तो चक्र की वजह से उनकी अंगुली भी थोड़ी कट गई और रक्त बहने लगा.
जब द्रौपदी ने श्रीकृष्ण की अंगुली से रक्त बहते हुए देखा तो उसने श्रीकृष्ण की अंगुली पर अपनी साड़ी फाड़कर बांध दी.
इस कर्म के पुण्य ही था कि श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को आशीर्वाद में कोने भर साड़ी के बदले अथाह साड़ी देकर उसकी लज्जा बचाई थी.
इन कर्मों की वजह से भरी सभा में श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की साड़ी का पुण्य उतारकर उसकी लज्जा बचाई थी.
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