श्रुतायु कलिंग देश का क्षत्रिय राजा और अच्युतायु का भाई था. वो बेहद पराक्रमी औऱ धनुष विद्या में माहिर था.
अर्जुन के प्रति द्वेष रखने वाला अच्युतायु ने कौरवों की ओर से महाभारत युद्ध में भाग लिया था
महाभारत युद्ध में विशाल भुजाओं वाले श्रुतायु और अच्युतायु जब अर्जुन के सामने पहुंचे तो उन पर बाणों की वर्षा कर दी.
बाणों की बरसात इतनी ज्यादा थी कि दोनों ने अर्जुन और उनका रथ चला रहे श्रीकृष्ण के चारों ओर से घेर दिया. उन्हें कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था.
फिर श्रुतायु ने तीखी धार वाले बाण चलाकर अर्जुन के शरीर पर कई घाव कर दिया. घायल अर्जुन ध्वजपताका के सहारे टिक गये।
मूर्छित हुए अर्जुन को सहारा देने के लिए श्रीकृष्ण ने प्रयास किया मगर बाणों से घेरकर श्रुतायु ने उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया.
बाणों की बरसात के बीच अर्जुन-श्रीकृष्ण के साथ उनका चक्र, रथ, घोड़ा, ध्वज पताका सबकुछ अदृश्य सा हो गया.
अर्जुन को मृत समझकर कौरव सेना में जय जयकार होने लगी. लेकिन कुछ देर में दोबारा चेतना में लौटे.
खुद को चौतरफा बाणों से घिरा देख अर्जुन का क्रोध सातवें आसमान पर पहुंचा और उन्होंने इंद्र से मिले ऐंद्रास्त्र का प्रयोग किया.
ऐंद्रास्त्र चलाते ही बाण टुकड़े टुकड़े होकर गिरने लगे. फिर ऐसे दिव्य अस्त्र अर्जुन ने छोड़े कि श्रुतायु और अच्युतायु का रथ धंस गया.
श्रुतायु औऱ अच्युतायु के संभलने के पहले ही अर्जुन ने बाणों के प्रहार से उनके मस्तक काट दिए. भुजाएं अलग कर दीं.
दोनों विशालकाय पेड़ों की तरह धराशायी हो गए. अर्जुन ने श्रुतायु और अच्युतायु के साथ उनके पुत्र नियतायु, दीर्घायु और अम्बष्ठ को भी मार डाला था.
पौराणिक पात्रों की यह कहानी धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों में किए गए उल्लेख पर आधारित है. इसके एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.