महाभारत का वो योद्धा, जिसकी प्यार में पागल बेटी ने श्रीकृष्ण के पोते का किया अपहरण

Amrish Kumar Trivedi
Jun 12, 2024

परम शिवभक्त बाणासुर

महाभारत काल में शोणितपुर राज्य का राजा बाणासुर था, जिसे भगवान शिव से रक्षा का वरदान प्राप्त था. वो परम शिवभक्त था.

Banasura हजार भुजाओं वाला

बाणासुर राजा बलि का पुत्र और हजारों भुजाओं वाला असुर था. पूरे ब्रह्मांड में उसे कोई नहीं मार सकता था.

अनिरुद्ध से प्रेम

बाणासुर की पुत्री ऊषा को भगवान श्रीकृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध से प्रेम हो गया था और उसे वो अपनी सखी चित्रलेखा के जरिये अपहरण कर अपने राज्य ले आई.

कामदेव जितना सुंदर

अनिरुद्ध भगवान श्री कृष्ण के पौत्र और द्वारका के राजकुमार थे जो कामदेव से जितना सुंदर थे.

नागपाश में बांधा

जब बाणासुर को खबर मिली तो उसने अनिरुद्ध को नागपाश (युद्ध में शत्रु को पकड़ने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला फंदा) से बांध दिया.

श्रीकृष्ण ने की चढ़ाई

श्रीकृष्ण को पता चला तो वो भाई बलराम, प्रद्युम्न, सात्याकि, सांब और भद्रा जैसे योद्धाओं और सेना के साथ सोणितपुर (आज के असम) पहुंच गए.

शिव और कृष्ण युद्ध

शिव भी भक्त बाणासुर की रक्षा के लिए रुद्राक्ष, नंदी, गणेश और कार्तिकेय के साथ युद्ध के लिए पहुंचे. बाणासुर और शिव की सेना ने श्रीकृष्ण की सेना से भयंकर युद्ध किया.

श्रीकृष्ण से संग्राम

श्रीकृष्ण ने बाणासुर की सेना को तहस नहस कर दिया. भगवान शिव ने कृष्ण की सेना को चोट पहुंचाई, फिर दोनों में सीधी लड़ाई होने लगी.

पाशुपतास्त्र चलाया

शिव ने कृष्ण पर पाशुपतास्त्र छोड़ दिया. श्रीकृष्ण ने भी नारायणास्त्र छोड़ा. दोनों अस्त्रों से भयंकर आग के साथ विनाशलीला हुई।

निद्रास्त्र चलाया

श्रीकृष्ण ने शिव पर निद्रास्त्र छोड़ा तो धुंध के बीच महादेव निद्रा में चले गए. बाणासुर की सेना कमजोर पड़ने लगी और बलराम के हमले में कुंभदा और कूपकर्ण घायल हो गए.

सहस्त्रबाहु

बाणासुर युद्धक्षेत्र से भागा तो श्रीकृष्ण ने उसे दौड़ा. सुदर्शन चक्र से उसकी सैकड़ों भुजाएं काट दीं. उसकी सिर्फ चार भुजाएं बची थीं, तब शिव जाग गए.

भयंकर युद्ध

क्रोध में भगवान शिव ने शिवज्वर अग्नि का भयंकर अस्त्र चलाया तो कृष्ण ने भी नारायण ज्वर शीत नाम का अस्त्र चलाया और पूरे ब्रह्मांड में प्रलय आ गई.

मां दुर्गा पहुंचीं

ब्रह्माजी भी युद्ध रोकने में असमर्थ रहे तो मां दुर्गा वहां पहुंची और दोनों देवों को शांत कराया. कृष्ण ने कहा, वो तो पौत्र अनिरुद्ध को स्वतंत्र कराना चाहते हैं, बाणासुर का वध नहीं.

बाणासुर ने मानी हार

बाणासुर ने तब क्षमा मांगी और पुत्री ऊषा को धन धान्य के साथ अनिरुद्ध और श्रीकृष्ण की सेना के साथ विदा कर दिया.

डिस्क्लेमर

पौराणिक पात्रों की यह कहानी धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों में किए गए उल्लेख पर आधारित है. इसके एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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