हिंदू शादियों में सिंदूर और मंगलसूत्र काफी अहमियत रहती है. इन दोनों को सुहाग की निशानी माना जाता है. भारत में हिंदू धर्म में शादी के बाद महिलाओं को गले में मंगलसूत्र पहनने का रिवाज है. इसे सुहाग और सुहागिनों की निशानी के तौर पर माना गया.
क्या आप जानते हैं कि मंगलसूत्र की शुरुआत कहां से हुई थी? शादी के बाद महिलाएं मंगलसूत्र क्यों पहनती हैं. भारत के अलावा किस-किस देश में शादीशुदा महिलाएं मंगलसूत्र पहनती हैं?
हम आपको बताएंगे कि मंगलसूत्र पहनना कब शुरू हुआ था और कहां और किन देशों में महिलाएँ मंगलसूत्र पहनती हैं.
मंगलसूत्र महिलाओं के 16 श्रृंगार में एक है. मंगलसूत्र को पति-पत्नी का रक्षा कवच माना जाता है. इसके अलावा मंगलसूत्र के इतिहास का जिक्र आदि गुरु शंकराचार्य की किताब ‘सौंदर्य लहरी’ में भी मिलता है.
इतिहासकारों के मुताबिक मंगलसूत्र पहनने की परंपरा छठी शताब्दी में शुरू हुई थी. मंगलसूत्र के साक्ष्य मोहन जोदाड़ो की खुदाई में भी मिले हैं.
ऐसा कहा जाता है कि मंगलसूत्र पहनने की शुरुआत सबसे पहले दक्षिण भारत से हुई थी. फिर धीरे-धीरे भारत में ही नहीं बल्कि दूसरे देशों में भी यह रिवाज है. जानकारी के मुताबिक तमिलनाडु में इसे थाली या थिरू मंगलयम कहते हैं. उत्तर भारत में इसे मंगलसूत्र कहा जाता है.
अथर्वेद के अनुसार, दुल्हन को केवल आभूषणों से सजाने की परंपरा थी क्योंकि आभूषण शुभ माने जाते थे. तमिल भाषा में लिखा गया प्राचीन संगम साहित्य के मुताबिक, इसका उल्लेख 300 ईसा पूर्व में मिलता है, जब दूल्हा दुल्हन के गले में डोरी बांधता था. उस दौर में इसे थाली या मंगलयम के नाम से जाना जाता था.
मंगलसूत्र यह दो शब्दों से बना है. ‘मंगल’ यानी पवित्र और ‘सूत्र’ यानी धागा. हिंदू समाज में इसे शादी की मान्यता के तौर पर भी देखा जाता है. इतिहासकारों का दावा है कि मंगलसूत्र के मायने और इसका स्वरूप जैसा आज है वैसा इसके शुरुआती दौर में नहीं था.
हालांकि अलग-अलग क्षेत्रों में इसका स्वरूप भी बदल जाता है. कहीं पर मंगलसूत्र में सोने, सफेद या लाल मोतियों को भी जोड़ा जाता है. भारत, नेपाल, बंग्लादेश और पाकिस्तान में हिंदुओं के अलावा सीरियाई ईसाइयों जैसे गैर-हिंदू लोग भी मंगलसूत्र पहनते हैं.
भारत में ऐसे कई समुदाय हैं, जिनमें मंगलसूत्र नहीं पहनते हैं. इसकी जगह दूसरे वैवाहिक प्रतीकों को पहना जाता है. उत्तर भारत के बड़े हिस्से में शादीशुदा महिलाएं पैरों में बिछुआ, कांच की चूड़ियां, गले में कंठी पहनती हैं.
ऐतिहासिक रूप से भारत में गहने वैवाहिक जीवन के शुभ प्रतीक माने जाते हैं. जब महिला विधवा हो जाती या सांसारिक मोहमाया त्यागती तो वह उसे उतार देती है. किताब में अथर्वेद के बारे में लिखा गया है कि विवाह समारोह दुल्हन के पिता के यह कहने के साथ समाप्त होता था कि “मैं सोने के आभूषणों से सजी इस लड़की को तुम्हें देता हूं.”
मंगलसूत्र को लेकर अलग-अलग क्षेत्रों में अपनी मान्यताएं हैं. ऐसा माना जाता है कि इसमें मौजूद काले मोती भगवान शिव का रूप हैं और सोने का संबंध माता पार्वती से है. ऐसी मान्यता है कि मंगलसूत्र में 9 मनके होते हैं. ये मां दुर्गा के नौ स्वरूपों का प्रतिनिधित्व करते हैं. इन 9 मनकों को पृथ्वी, जल, वायु और अग्नि के प्रतीक के तौर पर भी माना गया है.
यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं,वास्तुशास्त्र पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.