विष्णु जी ने वराह अवतार लेकर समुद्र में छुपे हिरण्याक्ष को ढूंढा. जब उससे पृथ्वी लेने लगे तो उसने युद्ध के लिए भगवान वराह को ललकारा और युद्ध करके पृथ्वी को वापस लिया था.
हिरण्याक्ष नाम का एक दैत्य था. उसे पूरी पृथ्वी पर शासन करने की इच्छा थी. इसलिए वह पृथ्वी को लेकर समुद्र में जाकर छिप गया.
यहां पहुंचने के लिए बस और रेल मार्ग दोनों ही साधन हैं. यहां हर साल राजस्थान, मध्य प्रदेश के लाखों लोग दर्शन के लिए पहुंचते है.
इसका नामकरण सोलंकी वंश के शासकों द्वारा किया गया था. माना जाता है कि यहां अस्थियां विसर्जन करने से आत्मा को मोक्ष मिलता है.
धर्म क्षेत्र के जानकारों के अनुसार सृष्टि का उद्गम स्थल सोरों तीर्थनगरी को ही माना जाता है. यही पर तुलसीदास जी की ससुराल भी है.
ऐसा माना जाता है कि पृथ्वी के पुनर्संस्थापन के बाद, परमात्मा ने अपनी वराह रूपी देह का विसर्जन इसी क्षेत्र में किया था.
माना जाता है इसी जगह भगवान विष्णु का तीसरा बराह अवतार का निर्वाण यहीं हुआ था. इन जगह के बारें में कई मान्यताएं है.
शूकरक्षेत्र सोरों क्षेत्र के बारे शायद ही आपने सुना होगा. यह सनातन धर्म एक फेमस तीर्थस्थान है. वर्तमान मे यह उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले के अंतर्गत आता है.
शास्त्रों में भगवान विष्णु ने 10 अवतार के बारें में उल्लेख मिलता है. जिसमें से पहला अवतार बराह अवतार है.