अयोध्या का स्वरूप बदल चुका है. रामलला विराजमान हो गए हैं. राम का जन्मस्थान होने के बाद भी ये नगरी उतना विकास नहीं कर पाई जितना करना था.
दरअसल, इसके पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है. कहा जाता है कि माता सीता ने अय़ोध्या को श्राप दिया था.
आइए जानते हैं आखिर किस वजह से सीताजी ने अयोध्या को शाप दिया था. वेदों और पुराणों में उस दौर का वर्णन विस्तार से किया गया है.
पौराणिक कथाओं और किवदंतियों के अनुसार जब लोगों की बातों में आकर श्री राम ने अपनी पत्नी, माता सीता को राज्य से निकाल दिया.
तब माता सीता ने अयोध्या को श्राप दिया था. मान्यता है कि माता सीता के श्राप के कारण ही कभी भी अयोध्या में तेजी से विकास नहीं होता.
मान्यताओं के अनुसार श्री राम ने अयोध्या किसी को नहीं दी. दोनों बेटों में से कुश को कसूर (पंजाब) और लव को लाहौर में राज्य की स्थापना करने का आदेश दिया.
अपने छोटे भाई शत्रुघ्न के पुत्रों को मथुरा और लक्ष्मण के पुत्रों को लखनऊ का क्षेत्र दिया.
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान राम अयोध्या की जनता और उसके सभी प्राणियों यहां तक की पशु पक्षियों को भी अपने साथ ब्रह्मलोक ले गए.
राम के ब्रह्मलोक जाने के बाद अयोध्या वीरान हो गई. अयोध्या की देवी ने कुश के पास जाकर अयोध्या को फिर से बसाने की प्रार्थना की थी.
अयोध्या बसी तो मगर वैसी नहीं रह गई जैसी श्री राम के वक्त में थी
धर्म की मान्यताओं के अनुसार अयोध्या की जनता का अपने शासकों के साथ तालमेल कम होता है.
अयोध्या की जनता ने राम के पूर्वज, राजा सागर के पुत्र असमंजस को राज्य से निकालने के लिए विवश कर दिया था.
ऐसा भी कहा जाता है कि असमंजस अयोध्या के बच्चों को सरयू में डूबो कर मार डालता था.
अयोध्या ने राजा दशरथ के राम को वनवास पर भेजे जाने के फैसले का विरोध किया था. अपने शासक की आज्ञा के विरुद्ध राम के साथ चल पड़ी थी.
अयोध्या की जनता ने सीता की पवित्रता पर सवाल उठाकर उनकी अग्नि-परीक्षा सुनिश्चित करवाई थी.
ऐसा कहते हैं कि सीता के शाप का ही प्रभाव था कि महाभारत युद्ध में रघुवंश के आखिरी राजा यानी प्रभु राम के आखिरी वंशज राजा बृहद्बल की मृत्यु हो गई.
पौराणिक पात्रों की यह कहानी धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों में किए गए उल्लेख पर आधारित है. इसके एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.