श्रृंगवेरपुर धाम में निषादराज की ओर से किए गए सेवा-सत्कार से प्रसन्न होकर भगवान श्रीराम ने उन्हें अपना मित्र बनाया था.
श्रृंगवेरपुर धाम में भगवान श्रीराम का निषादराज से गले लगाते हुए एक मूर्ति भी स्थापित है, जो 51 फीट ऊंची है.
श्रृंगवेरपुर धाम से करीब दो किलोमीटर दूर स्थित रामचौरा का भी धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है.
यह वही स्थान है, जहां प्रभु श्रीराम ने गंगा नदी पार करने से पहले रात्रि विश्राम किया था.
वर्तमान में यह स्थान राम शयन आश्रम (राम चौरा) के नाम से फेमस है.
बताया जाता है कि प्रभु राम तमसा नदी होते हुए माता जानकी, लक्ष्मण और सारथी सुमंत के साथ श्रृंगवेरपुर पहुंचे.
भगवान श्रीराम के यहां पहुंचने की सूचना जब निषादराज को मिली तो वो उनसे मिलने यहां आए.
प्रभु श्रीराम ने वनवास की बात कहकर गांव में जाने से इनकार कर दिया था. इसके बाद निषाद उन्हें राम चौरा लेकर गए.
यहां शीशम के वृक्ष के नीचे भगवान श्री राम, मां सीता और लक्ष्मण ने रात्रि विश्राम किया था.
शीशम के जिस वृक्ष के नीचे भगवान श्रीराम ने रात्रि विश्राम किया था उसका वर्णन धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है.
पांच पेड़ एक साथ जुड़े होने का यह प्रमाण बताता है कि यहां प्रभु राम ने माता जानकी, लक्ष्मण सुमंत और निषादराज ने साथ संवाद किया था.
पौराणिक पात्रों की यह कहानी धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों में किए गए उल्लेख पर आधारित है.