द्वापर में बलराम और त्रेता युग में लक्ष्मण शेषनाग के अवतार रहे हैं. शेषनाग का अवतार होने के साथ-साथ बलराम बहुत सुंदर थे और बलशाली भी थे.
लोक कथाओं के मुताबिक, बलराम शेषनाग का अवतार हैं. भगवान ने समय-समय पर पृथ्वी और लोक की रक्षा के लिए अवतार लिया.
त्रेता युग में राम जी बड़े थे और लक्ष्मण जी छोटे. द्वापर युग में बलराम जी बड़े और कृष्ण जी छोटे. राम बने कृष्ण और बलराम लक्ष्मण बने.
बलराम का विवाह नागकन्या रेवती से हुआ था. बलराम की पत्नी कभी मां नहीं बन सकीं, क्योंकि देवराज इंद्र ने उन्हें श्राप दिया था.
मां रेवती के पिता का नाम रेवत था. राजा रेवत अपनी पुत्री के वर के लिए ब्रह्मा जी के पास गए. ब्रह्मा जी ने उन्हें रेवती का विवाह बलराम जी से करने की सलाह दी.
माता रेवती बहुत सुंदर थीं, इसलिए सभी देवता उनसे वरण करना चाहते थे, यानी विवाह करना चाहते थे. देवताओं में इंद्र भी रेवती से विवाह करना चाहते थे.
रेवती माता ने इंद्र से विवाह करने से इनकार कर दिया था. जिसके बाद देवराज इंद्र ने नाराज होकर रेवती को श्राप दे दिया कि वो कभी मां नहीं बन पाएंगी.
लोक कथाओं की मानें तो देवराज इंद्र के इसी श्राप की वजह से रेवती माता कभी भी मां बनने का सुख नहीं भोग पाईं.
यहां दी गई जानकारियां लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. Zeeupuk इसकी किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है.