भगवान कृष्ण के लिए काशी से एक विशाल घंटा पूर्णिमा तिथि के दिन भेजा गया है.
मथुरा रवाना करने से पहले काशी में भारी भरकम घंटे का पूरे मंत्रोच्चार और शंखनाद के साथ पूजन किया गया.
यह पहला ऐसा घंटा है कि इस पर हाथी, म्यूर, बंशी, कमलदल, अमृतकलश, मखन हंडी, गोमाता आदि की नक्काशी की गई है.
घंटे में मयूर, अमृत कलश, कमल पुष्प सहित कई सनातनी संकेत उकेरे गए हैं.
अयोध्या श्रीरामलला मंदिर में लगा घंटा इससे कम वजन का है. सुबह-शाम आरती के दौरान इस घंटे को बजाया जाएगा.
यह घंटा रमणरेतीधाम परिसर स्थित रमनबिहारी मंदिर में लगाया जाएगा.
यह घंटा पीतल समेत विभिन्न धातुओं से बना हुआ है और इसका वजन 3 हजार किलो है.
घंटे को बजाने के लिए एक मशीन लगाई जाएगी. सरोवर के पास एक स्तंभ के ऊपर इसे स्थापित किया जाएगा.
इसे बनाने में 15 महीने से अधिक समय लगा है. ऐसी मान्यता है कि यह भारी घंटा नकारात्मक ऊर्जा को दूर करेगा.
इसकी आवाज सात से आठ किलोमीटर दूर तक सुनाई देगी.
इसके साथ सात घंटे और लगाए जाएंगे. इनका वजन 150-150 किलो का होगा और जो सात सुरों में बजेंगे.
काशी में पहली बार तीन टन वजन का बना घंटा 6 फीट ऊंचा और 5 फीट चौड़ा है.