जॉन एलिया, जो मुंह से थूकते थे खून, शायरी सुन फफककर रोने लगती थी महफिल

Rahul Mishra
Sep 22, 2023

मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूँ कि बस ख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं

जो गुज़ारी न जा सकी हम से हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है

ज़िंदगी किस तरह बसर होगी दिल नहीं लग रहा मोहब्बत में

ये मुझे चैन क्यूँ नहीं पड़ता एक ही शख़्स था जहान में क्या

बहुत नज़दीक आती जा रही हो बिछड़ने का इरादा कर लिया क्या

कैसे कहें कि तुझ को भी हम से है वास्ता कोई तू ने तो हम से आज तक कोई गिला नहीं किया

कौन इस घर की देख-भाल करे रोज़ इक चीज़ टूट जाती है

किस लिए देखती हो आईना तुम तो ख़ुद से भी ख़ूबसूरत हो

इलाज ये है कि मजबूर कर दिया जाऊँ वगरना यूँ तो किसी की नहीं सुनी मैं ने

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