क्या आप जानते हैं कि भारत में पेंशन की शुरुआत कब से हुई. मुगल बादशाह को भी पेंशन मिलती थी. जी हां, जिन्होंने हम पर राज किया वो भी पेंशन पर जीते थे. जानते हैं कौन था वो किंग...
मुगलों ने काफी सालों तक हमारे देश पर राज किया था. इनकी कहानियां हम अपने बचपन से ही पढ़ते आ रहे हैं.
आज हम आपको ऐसे मुगल के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपने आखिरी दिनों में अंग्रेजों की पेंशन पर जीने को मजबूर था.
हम बात कर रहे हैं आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर की.
बात करें भारत में पेंशन मिलने की तो इसकी शुरुआत ब्रिटिश राज में हुई थी. इतिहासकारों के मुताबिक भारत में 1881 में पहली बार सरकारी कर्मचारियों को पेंशन का लाभ मिला था.
बहादुर शाह जफर की हालात बिना पावर वाले शासक जैसे थी, क्योंकि वो अपना जीवन यापन पेंशन पर कर रहे थे.
ऐसा कहा जाता है कि आखिरी मुगल सम्राट बहादुर शाह (1837-1858) को ईस्ट इंडिया कंपनी की तरफ से पेंशन मिलती थी.
एक वेबसाइट के मुताबिक बहादुर शाह ने अपने शासन काल के दौरान कंपनी से काफी धन की मांग की थी. जिसे ब्रिटिश कंपनी ने पेंशन के रूप में दिया
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुगल सम्राट को वजीफा के रूप में 1,00,000 रुपये मिलते थे. लेकिन बादशाह इसे ऐसा नहीं मानता था.
डाउन वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक मुगल दरबार में इसे नजराना कहा जाता था. जबकि कंपनी ने इसे पेंशन नाम दिया.
87 साल की उम्र में 7 नंवबर 1862 में बहादुर शाह जफर का इंतकाल हो गया.