हिंदू देवी-देवताओं की मान्यता ऐसी है कि दूसरे धर्मों के लोग भी इनमें गहन आस्था रखते हैं.
ज्वाला देवी का मंदिर ऐसा है कि जिसका चमत्कार देख मुगल बादशाह अकबर भी हैरान रह गया था.
पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि यह कथा अकबर और माता के भक्त ध्यानू भगत से जुडी है.
ध्यानू हजारों यात्रियों के साथ हिमाचल के ज्वाला देवी मंदिर में दर्शन के लिए जा रहा था, इतना बड़ा दल देख अकबर के सिपाहियों ने उसे रोक लिया.
ध्यानू ने ज्वाला देवी के चमत्कार के बारे में अकबर को बताया तो उसने माता के मंदिर पर सेना समेत चढ़ाई कर दी थी.
मंदिर की ज्योति को बुझाने के लिए अकबर ने सेना से पानी डलवाना शुरू किया, लेकिन ज्योति जलती रही.
यह देख अकबर ने मां ज्वालादेवी से माफी मांगी और पूजा का छ्त्र चढ़ाया था, लेकिन मां ने छत्र स्वीकार नहीं किया.
इस घटना के बाद बादशाह अकबर मां ज्वाला देवी का मुरीद हो गया और उनकी पूजा करने लगा.
यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.