मुगल काल में पुरूषों से भरे समाज में जहां महिलाएं पर्दे में रहा करती थीं, उन्हें नुमाइश की चीज से ज्यादा कुछ नहीं समझा जाता था.
इतिहासकारों ने जब भी मुगलों के बारे में लिखा, राजाओं के शौर्य से पन्नों को भरा और जब भी उनकी रानियों का जिक्र हुआ तो कहा गया 'वह बहुत ही खूबसूरत थी'
मुगल दरबार में कई रानियां बेहद ताकतवर रहीं. उन्होने अपने दिमाग और शातिरपन से हुकूमत की.
इतिहासकारों की नजर से अगर बस एक लाइन कही जाए तो इतना कहेंगे कि छह महान मुग़लों और एक मुग़लिया रानी ने दुनिया भर में सल्तनत का परचम लहराया.
वो रानी कोई और नहीं, नूरजहां थी. 16 साल तक उसने जहांगीर के नाम पर हिंदुस्तान की गद्दी संभाली...
वह इकलौती मुगलिया रानी थी, जिसके नाम से सिक्के चलवाए गए थे.इतिहास में नूरजहां की खूबसूरती के चर्चे लिखे गए हैं.
जहांगीर ने नूरजहां से निकाह किया और बेगम का दर्जा दिया. कुछ दिनों में ही उसकी हुकूमत महल में चलने लगी.
जहांगीर पर नूरजहां का इतना प्रभाव था कि वह राजनीति और महल से जुड़े फैसलों में उसकी राय मांगता था.
दरबार और महल में अपनी हुकूमत बनाने के लिए नूरजहां ने अपने परिवार के सदस्यों को बड़े-बड़े पद दिलाए.
मल्लिका-ए-हिंदुस्तान बनने के बाद महज एक साल में नूरजहां ने ईरान से आए अपने परिवार को मुगलों को सबसे करीबी बना दिया.
नूरजहां ने अपनी भतीजी मुमताज महल की शादी जंहागीर के बेटे खुर्रम से कराई.
नूरजहां ने अपने पहले पति से हुई बेटी लाड़ली बेगम की शादी जहांगीर के छोटे बेटे शहरयार मिर्जा से कराई.
इस तरह नूरजहां अपनी ही सगी बेटी की सास बन गई. ऐसा कहा जाता है कि सत्ता में बने रहना उसकी चाल थी.
मुगलकालीन पात्रों की यह कहानी मान्यताओं और इतिहासकारों की पुस्तकों में किए गए उल्लेख पर आधारित है. इसके एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.