इन दिनों भक्त उत्तराखंड चार धाम यात्रा पर हैं. चार धामों में से एक है भगवान बद्रीनाथ धाम. इस धाम में कई ऐसे रहस्य छुपे हैं जिनको जानकार आप भी हैरान रह जाएंगे.
तप में लीन भगवान विष्णु बर्फ में दबने लगे. तब माँ लक्ष्मी ने बद्री यानि बेर के पेड़ का रूप धारण कर बर्फ रोक ली. इसलिए मंदिर का नाम बद्रीनाथ है.
बद्रीनाथ धाम में 6 महीने देवर्षि नारद भगवान विष्णु की पूजा करते हैं.
यहाँ शंख नहीं बजाया जाता. मान्यता है कि वातापी राक्षस शंख बजने से जीवन हो जाता.
वैज्ञानिक मानते हैं कि शंख की ध्वनि बर्फीले पर्वतों से टकराकर बर्फीला तूफान ला सकती हैं इसलिए यहाँ शंख नहीं बजाना चाहिए.
यह मंदिर पहले शिव पार्वती का निवास था. भगवान विष्णु ने यह मंदिर एक योजना बनाकर उनसे ले लिया था.
भगवान विष्णु की प्रतिमा शालिग्राम से बनी हुई है.
बद्रीनाथ के तप्त कुंड का पानी बर्फीले मौसम में भी गर्म रहता है.
जिस दिन नर और नारायण पर्वत आपस में मिल जाएंगे, बद्रीनाथ का रास्ता पूरी तरह बंद हो जाएगा.
भगवान विष्णु की प्रतिमा वाला वर्तमान मंदिर 3,133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. यह आदि शंकराचार्य ने बनाया.
इस धाम में भगवान विष्णु के पैरों के निशान हैं जिसे चरणपादुका कहते हैं.