हिंदू धर्म से जुड़े कई ऐसे पवित्र स्थल हैं, जो चमत्कारिक हैं. जैसे अमरनाथ की गुफा और ओम पर्वत. जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं.
अमरनाथ में हर साल अपने आप तय जगह पर बर्फ से शिवलिंग बनता है. वहीं, पिथौरागढ़ के ओम पर्वत पर हर साल बर्फ से 'ॐ' की आकृति बनती है.
पिथौरागढ़ का ओम पर्वत चीन सीमा से लगते लिपुलेख दरें के पास नाभीढांग में है. इस ॐ की आकृति के कारण ही ये पर्वत ओम पर्वत नाम से मशहूर है.
हिमालय में ओम पर्वत को विशेष स्थान माना जाता है. इस पर्वत की ऊंचाई समुद्र तल से 6,191 मीटर यानी 20,312 फीट की ऊंचाई पर है.
ये जगह शिव शक्ति के आशीर्वाद की गवाह है. कहा जाता है इस पर्वत पर कोई भी भगवान शिव की मौजूदगी और आशीर्वाद महसूस कर सकता है.
पिथौरागढ़ के ओम पर्वत के धार्मिक और पौराणिक महत्व का जिक्र महाभारत, रामायण और वृहत पुराण जैसे ग्रंथों में मिलता है.
स्कंद पुराण के मानस खंड में आदि कैलाश और ॐ पर्वत की यात्रा को कैलाश मानसरोवर यात्रा जितना ही महत्व दिया गया है. इसलिए इसे छोटा कैलाश भी कहा जाता है.
खास बात ये है कि जब इस पर्वत पर सूर्य की पहली किरण पड़ती है तो ओम शब्द आपको अलग ही चमकता हुआ नजर आएगा. जो देखने में बहुत अद्भुत लगता है.
1 अप्रैल से आदि कैलाश और ओम पर्वत के एरियल दर्शन सुविधा शुरू की गई है. ये सुविधा धारचूला की व्यास घाटी स्थित आदि कैलाश और ओम पर्वत के हवाई दर्शन के लिए है.
पहली बार ऐसा हुआ कि ओम पर्वत पर बर्फ से बनने वाली ॐ की आकृति गायब हो गई. खबरों के मुताबिक, यहां इस साल ॐ की आकृति नहीं बनी.
हालांकि, अब कुछ लोगों का दावा है कि बर्फबारी होने की वजह से एक बार फिर ॐ की आकृति ओम पर्वत पर दिखाई देने लगी है. यहां दर्शन के कई तरीके हैं.
नाभि डांग से कुट्टी गांव होते हुए जौलीकांग जाने पर ओम पर्वत के दर्शन हो सकते हैं. नाभि डांग से ओम पर्वत के लिए बेस कैंप है. यहां का नजारा देखने के लिए सुबह जाएं.
गुंजी से नाबी तक 22 किलोमीटर की दूरी है, जिसे तय करने में करीब डेढ़ घंटे लगते हैं. नाश्ते के बाद गुंजी से ओम पर्वत के लिए प्रस्थान किया जा सकता है. इसके पास ध्यान कर सकते हैं.
पिथौरागढ़ हेलीपैड से MI17 हेलीकॉप्टर से ओम पर्वत के दर्शन कर सकते हैं. हेलीकॉप्टर से दर्शन के दौरान बर्फ से लिपटे पहाड़ों के बीच व्यास घाटी का मनमोहक दृश्य देखने को मिलता है.
भारत से कैलाश-मानसरोवर की यात्रा पर जाने वाले यात्री लिपुलेख दर्रे के नीचे बने शिविर से ओम पर्वत के दर्शन कर सकते हैं. हिंदू धर्म में ओम पर्वत को बहुत पवित्र स्थान माना जाता है.