प्रेमानंद जी महाराज से एक बच्चे ने प्रश्न किया कि सबसे बड़ी पूजा क्या है? महाराज जी ने इसका उत्तर दिया.
संत प्रेमानंद जी महाराज के उपदेश व सलाह हमेशा से सोशल मीडिया पर वायरल होता रहा है.
हाल ही में प्रेमानंद जी महाराज से एक बच्चे ने सबसे बड़ी पूजा क्या है ये सवाल किया तो प्रेमानंद जी महाराज ने मन, वाणी का जिक्र किया.
प्रेमानंद जी महाराज ने बताया कि सबसे बड़ी पूजा है- न शरीर से, न मन से, न वाणी से किसी को दुख न पहुंचाना, यह सबसे बड़ी पूजा है.
हम किसी को वाणी से न ऐसा कुछ बोल की उसे दुख हो, न शरीर से किसी जीव की हिंसा करें. न तो मन से किसी को भी दुख पहुंचाने की सोचें ही.
गोस्वामी तुलसी दास की एक पंक्ति को प्रेमानंद जी महाराज ने पढ़ते हुए कहा कि- परहित सरिस धर्म नहीं भाई;
इसका अर्थ है- दूसरों को सुख देने, दुसरों का हित करने से बड़ा कोई धर्म नहीं है, प्रेमानंद जी महाराज ने कहा इससे बड़ी कोई पूजा नहीं है.
दूसरों को दुख देना, कष्ट देने के जैसा अन्य दूसरा पाप नहीं. हर किसी को कभी भी दूसरों का अहित सोचना ही नहीं चाहिए, न तो दुख देने के बारे में सोचना चाहिए. इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है. सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक पहुंचाई गई हैं. हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है. इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी. ZEE UPUK इसकी जिम्मेदारी नहीं लेगा.