राधाष्टमी का पर्व कृष्ण जन्माष्टमी के ठीक 15 दिन बाद मनाया जाता है.
22 सितंबर, दोपहर 1 बजकर 35 मिनट से'
23 सितंबर, दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक
उदया तिथि को मानते हुए राधा अष्टमी का पर्व 23 सितंबर दिन शनिवार को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा.
23 सितंबर, सुबह 11 बजकर 1 मिनट से दोपहर 1 बजकर 26 मिनट तक
भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को ब्रह्म मुहूर्त में स्नानादि से निवृत होकर साफ कपड़े पहनें और व्रत का संकल्प लें.
इसके बाद मंडल बनाकर कलश स्थापित करें और तांबे के पात्र में राधारानी की प्रतिमा स्थापित करें.
प्रतिमा का पंचामृत से स्नान करवाकर वस्त्राभूषण से सुसज्जित करें.
भोग, फल, फलू, श्रृंगार का सामान आदि षोडशोपचार विधि से राधाजी की पूजा अर्चना करें.