कौन थी वह हिंदू रानी जिसने लाज बचाने को मुगल बादशाह को बांधी थी राखी

Preeti Chauhan
Aug 16, 2024

रक्षाबंधन 2024

रक्षाबंधन 2024 इस साल 19 अगस्त को है. रक्षाबंधन को मनाने के पीछे कई सारी पौराणिक कहानियां प्रचलित हैं.

ऐतिहासिक कहानी

रक्षाबंधन की एक ऐतिहासिक कहानी चित्तौड़ की रानी कर्णावती और मुगल सम्राट हुमायूं से जुड़ी हुई है.

मुगल बादशाह से मदद की गुहार

रानी ने मुगल सम्राट को राखी भेज कर मदद की गुहार लगाई थी, जिसके बाद हुमायूं ने कर्णावती की मदद करने का फैसला किया था.

चित्तौड़ की रानी कर्णावती

वह चित्तौड़ की रानी थी और राणा सांगा की विधवा थीं. उनके शासनकाल में चित्तौड़ पर गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह ने हमला किया था.

सुल्तान ने किया हमला

सुल्तान बहादुर शाह ने चित्तौड़ पर हमला कर दिया था और कर्णावती के पास उससे लड़ने के लिए इतनी बड़ी सेना नहीं थी.

रानी ने हुमायूं को भेजी राखी

रानी कर्णावती ने मुगल बादशाह हुमायूं को राखी भेजने का फैसला किया. उन्होंने हुमायूं को राखी भेजी और सहायता मांगी.

भाई-बहन का रिश्ता

हिंदू धर्म में राखी का पर्व भाई-बहन के खास रिश्ते का प्रतीक है. भाई रक्षा का वचन देता है. इसी भरोसे के साथ कर्णावती ने हुमायूं को राखी भेजी.

राखी का सम्मान

हुमांयू ने भी राखी का सम्मान किया और अपनी सेना के साथ चित्तौड़ के लिए कूच कर दिया.

हुमायूं मदद के लिए बढ़ा

हुमायूं मदद के लिए चित्तौड़ की तरफ बढ़ना शुरू किया, पर समय पर नहीं पहुंचा. इस बीच सुल्तान बहादुर शाह ने चित्तौड़ पर कब्जा कर लिया.

कर्णावती ने किया जौहर

चित्तौड़ की राजपूत महिलाओं ने अपने सम्मान की रक्षा के लिए जौहर (आग में कूदकर आत्महत्या) कर लिया. रानी कर्णावती भी इसमें शामिल थीं. उन्होंने घुटने नहीं टेके.

हुमायूं ने निभाया भाई का फर्ज

इसके बाद हुमायूं ने बहादुर शाह को युद्ध में हराया और भाई का फर्ज निभाते हुए रानी कर्णावती के बेटे को उनकी गद्दी वापस दिलाई.

अपने आप में अनूठी घटना

रानी कर्णावती का बादशाह हुमायूं को राखी भेजना भारतीय इतिहास में भाईचारे और निष्ठा की मिसाल है. ये घटना धर्म और संप्रदाय से परे इंसानी मूल्यों का प्रतीक है.

डिस्क्लेमर

स्पष्ट कर दें कि यह AI द्वारा निर्मित महज काल्पनिक फोटो हैं, जिनको बॉट ने कमांड के आधार पर तैयार किया है.

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