रसोई घर को हमेशा दक्षिण-पूर्व (आग्नेय कोण) में बनाना चाहिए. यह अग्नि की दिशा है, जो स्वास्थ्य, मानसिक संतुलन और बुद्धि के लिए शुभ मानी जाती है.
किचन में खिड़कियां पूर्व या पश्चिम दिशा में होना अनिवार्य है. इससे प्राकृतिक प्रकाश और ताजी हवा का प्रवाह बना रहता है, जो सकारात्मक ऊर्जा लाता है.
रसोई घर का मुख्य दरवाजा और घर का मुख्य दरवाजा आमने-सामने नहीं होना चाहिए. इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा और आर्थिक नुकसान की संभावना बढ़ जाती है.
किचन में वाशबेसिन और पानी का स्थान ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में रखें. यह घर की शुद्धता और सकारात्मकता को बनाए रखने में सहायक होता है.
भोजन बनाते समय गृहिणी का मुख पूर्व दिशा में होना चाहिए. इससे न केवल स्वास्थ्य बेहतर रहता है, बल्कि मानसिक शांति और ऊर्जा का भी संचार होता है.
यदि किचन उत्तर-पश्चिम (वायव्य) दिशा में है, तो घर का खर्च अधिक होता है. इसके अलावा, दोस्तों या परिचितों को दिया गया धन वापस मिलने में कठिनाई हो सकती है.
उत्तर-पश्चिम दिशा में बने किचन से आग या गर्म पानी से जलने की घटनाएं अधिक हो सकती हैं. इस दिशा में किचन होने पर सावधानी बरतना जरूरी है.
उत्तर दिशा कुबेर की दिशा होती है, जहां किचन बनाना अशुभ माना जाता है. इससे धन की हानि, संपत्ति का नाश और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.
यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.