कौन थी रावण की पुत्री जो हनुमान जी पर मोहित हो गई

Amitesh Pandey
May 02, 2024

Daughter Of Ravana

श्रीराम, हनुमान और रावण से जुड़ी कहानियां हमने बहुत सुनी होगी. रावण के 7 पुत्रों के बारे में तो हम जानते हैं, लेकिन रावण की बेटी के बारे में बहुत कम ही लोगों को पता है. रावण की एक बेटी थी, जो हनुमान जी पर मोहित हो गई थी.

तीन पत्नियां

रावण की पहली पत्‍नी मंदोदरी से दो बेटे मेघनाद और अक्षय कुमार थे. वहीं, दूसरी पत्‍नी धन्यमालिनी से अतिकाय और त्रिशिरा नाम के दो बेटे थे.

सात बेटे

वहीं, तीसरी पत्‍नी से प्रहस्थ, नरांतक और देवांतक नाम के तीन बेटे थे. इस तरह रावण की तीन पत्नियों से कुल 7 पुत्र हुए.

एक बेटी भी

रामायण में बताया गया है कि सात बेटों के अलावा रावण को एक बेटी भी थी. इसका नाम सुवर्णमछा या सुवर्णमत्‍स्‍य था.

स्‍वर्ण जलपरी

कहा जाता है कि सुवर्णमत्‍स्‍य देखने में बहुत सुंदर थी. उसे स्‍वर्ण जलपरी भी कहा जाता है.

अन्‍य देशों में भी रामायण

वाल्मिकी रामायण के बाद दक्षिण भारत ही नहीं कई अन्‍य देशों में रामायण को अपने-अपने तरीके से लिखा गया है.

राम-रावण को महत्‍व

श्रीलंका, इंडोनेशिया, मलेशिया, माली, थाईलैंड और कंबोडिया में राम और रावण को महत्‍व दिया गया है.

रावण की बेटी

वहीं, थाईलैंड की रामकियेन रामायण और कंबोडिया की रामकेर रामायण में रावण की बेटी का उल्‍लेख है.

ऐसे पड़ा नाम

रावण की बेटी सुवर्णमत्‍स्‍य का शरीर सोने की तरह दमकता था. इसीलिए उनको सुवर्णमछा भी कहा जाता है.

सुवर्णमछा का अर्थ

सुवर्णमछा का शाब्दिक अर्थ सोने की मछली होता है. इसीलिए थाईलैंड और कंबोडिया में सुनहरी मछली को ठीक उसी तरह से पूजा जाता है, जैसे चीन में ड्रेगन की पूजा होती है.

प्रेम कहानी

रामकियेन और रामकेर रामायण के अनुसार, राम सेतु निर्माण के दौरान जब वानरसेना की ओर से डाले जाने वाले पत्‍थर गायब होने लगे तो हनुमानजी ने समुद्र में उतरकर देखा कि आखिर ये चट्टानें जा कहां रही हैं?

हनुमान ने पीछा किया

तब उन्‍होंने देखा कि पानी के अंदर रहने वाले लोग पत्‍थर और चट्टानें उठाकर कहीं ले जा रहे हैं. ऐसे में हनुमान जी ने उनका पीछा किया तो देखा कि एक मत्‍स्‍य कन्‍या उनको इस कार्य के लिए निर्देश दे रही है.

हनुमान जी से प्रेम

फिर हनुमान जी सुवर्णमछा के पास गए तब सुवर्णमछा ने जैसे ही हनुमानजी को देखा उसे उनसे प्रेम हो गया.

डिस्क्लेमर

पौराणिक पात्रों की यह कहानी धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों में किए गए उल्लेख पर आधारित है. इसके काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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