स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज 23 वर्ष की आयु में सत्य की खोज में परमहंस जी के पास आए.
परमानंद जी का आश्रम चित्रकूट में अनुसुइया, सतना, मध्य प्रदेश में जंगली जानवरों से भरे घने जंगलों के बीच था. वह सिद्ध ऋषि थे.
बताया जाता है कि परमहंस जी को स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज के आने की सूचना कई साल पहले ही प्राप्त हो गई थी.
स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज ने 'यथार्थ गीता' का साधारण शब्दों में व्याख्यान किया है.
स्वामी जी ने श्रीमदृभागवत गीता पर आधारित एक ग्रंथ 'यथार्थ गीता' की रचना की है, जो काफी लोकप्रिय है.
कोरोना काल के दौरान स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज संक्रमित हो गए तो खुद प्रधानमंत्री ने फोन कर उनका हाल जाना था.
स्वामी जी से मिलने के लिए यूपी ही नहीं देशभर के बड़े-बड़े राजनेता उनके आश्रम पहुंचते हैं. स्वामी जी का आश्रम मिरजापुर के सक्तेशगढ़ में है.