कमाया जैसे उसी शान से उड़ाया भी, कभी भी नोट पर हमने रबर नहीं बांधा

Rahul Mishra
Oct 23, 2023

परों को खोल ज़माना उड़ान देखता है,ज़मीं पे बैठ के क्या आसमान देखता है. मिला है हुस्न तो इस हुस्न की हिफ़ाज़त कर... संभल के चल तुझे सारा जहान देखता है

कनीज़ हो कोई या कोई शाहज़ादी हो, जो इश्क़ करता है कब ख़ानदान देखता है

यही वो शहर जो मेरे लबों से बोलता था, यही वो शहर जो मेरी ज़बान देखता है

हार हो जाती है जब मान लिया जाता है,जीत तब होती है जब ठान लिया जाता है

अपनी मंज़िल पे पहुँचना भी खड़े रहना भी, कितना मुश्किल है बड़े हो के बड़े रहना भी

ख़ुद को इतना भी मत बचाया कर,बारिशें हों तो भीग जाया कर

मर के मिट्टी में मिलूंगा खाद हो जाऊंगा मैं फिर खिलूंगा शाख़ पर आबाद हो जाऊंगा मैं

बार - बार आऊंगा मैं तेरी नज़र के सामने और फिर इक रोज़ तेरी याद हो जाऊंगा मैं

अपनी ज़ुल्फों को हवा के सामने मत खोलना वरना ख़ुशबू की तरह आज़ाद हो जाऊंगा मैं

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