शिवभक्त शनिदेव

शनिदेव भगवान शिव के बड़े भक्त थे. शास्त्रों के मुताबिक भोले बाबा के एक अवतार पिप्पलाद थे जिसके कारण शनि लंगड़े हुए थे.

शिव का अवतार पिप्पलाद

पुराणों की मानें तो भगवान शिव के एक अवतार पिप्पलाद, वह मुनि दधीति के बेटे थे.

इसलिए पड़ा नाम पिप्पलाद

सृष्टि के रचियता ब्रह्मा ने इनका नाम पिप्पलाद रखा था. ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने पीपल के पत्तों को खाकर तप किया था. इसी कारण उनका नाम पड़ा था.

मुनि दधीचि की मृत्यु

पिप्पलाद के जन्म के बाद से ही इनके पिता मुनि दधीचि की मृत्यु हो गई थी

पिता की मौत

ऋषि पिप्पलाद जब बड़े हुए तो अपने पिता की मौत का कारण पूछा.

शनिदेव की बुरी दृष्टि

पिप्पलाद को जब पता चला कि शनिदेव की बुरी दृष्टि के कारण उनकी मृत्यु हुई.

पिप्पलाद हुए क्रोधित

पिप्पलाद को ये कारण जानकर वह बहुत क्रोधित हुए. उन्होंने शनिदेव के ऊपर ब्रह्मदंड से हमला किया.

ब्रह्मदंड का प्रहार

शनिदेव पिप्पलाद ऋषि के ब्रह्मदंड का प्रहार सहन नहीं कर सकते थे. उस डर के कारण शनिदेव भागने लगे.

नहीं कर पाए सहन

शनि यह प्रहार सहन करने में असमर्थ थे जिस कारण से शनि तीनों लोकों में दौड़ने लगे. इसके बाद ब्रह्रादण्ड ने उन्हें लंगड़ा कर दिया.

शनि लंगडाकर चलने लगे

ऐसा कहा जाता है कि तभी से शनि देव लंगड़े होकर चलने लगे.

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