इस मंदिर में सदियों से जल रही है बिना तेल और बाती की 'जोत', रहस्य नहीं जान पाया कोई

Preeti Chauhan
Oct 17, 2023

शारदीय नवरात्रि

शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. इन नौ दिनों के इस पर्व में माता के नौ स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है. आज हम आपको मां के शक्तिपीठ के बारे में बता रहे हैं जिसकी महिमा धर्म शास्त्रों में भी वर्णित है.

शक्तिपीठ

वैसे तो पूरे देश में देवी मां के कई स्वरूपों के कई प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर है, जिनकी अपनी महिमा हैं. कुछ मंदिर ऐसे हैं जो शक्तिपीठ कहे जाते हैं. शक्तिपीठ वह स्थान कहलाता है जहां माता सती के अंग गिरे थे.

मां ज्वाला देवी तीर्थ स्थल

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में कालीधार पहाड़ी के बीच में ऐसा ही एक शक्तिपीठ है. यहां पर मां ज्वाला देवी तीर्थ स्थल को देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ माना जाता है.

गिरी थी मां की जीभ

धर्म शास्त्रों के मुताबिक इस जगह पर ही मां सती की जीभ गिरी थी.

बिना तेल के ज्योत

इस मंदिर में मां की ज्योत बिना तेल और बाती के सदियों से जल रही है. जिसके चलते इस मंदिर को चमत्कारी मंदिर भी कहा जाता है..

अकबर ने मानी थी हार

ऐसा कहा जाता है कि मुगल सम्राट अकबर ने ज्वाला जी में ज्योतियों को बुझाने की काफी कोशिशें की थीं. अकबर ने इन ज्योतियों को बुझाने के लिए एक नहर खुदवाकर पानी छोड़ दिया था.

अकबर का अहंकार टूटा

इसके बाद अकबर का अहंकार टूटा और वो नंगे पैर मां के दर्शन करने पहुंचा. मां को सोने का छत्र चढ़ाया. कांगड़ा का ज्वालाजी मंदिर का रहस्य आज तक कोई नहीं जान पाया.

ज्वाला के रूप में हैं मां

इस मंदिर को जोता वाली मंदिर भी कहा जाता है. मां इस मंदिर में ज्वाला के रूप में विराजमान हैं.

नहीं है मूर्ति

इस मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है. इस मंदिर में पृथ्वी के गर्भ से निकल रहीं 9 ज्वालाओं को पूजा जाता है. ये ज्वाला कहां से निकल रही हैं यह कोई नहीं जानता है?

मां के दर्शन को आते हैं भक्त

नवरात्रि के दिनों में कई राज्यों से लोग इस मंदिर में मां के दर्शन करने आते हैं. ज्वाला देवी मंदिर की आरती काफी मशहूर है. इस मंदिर में मां की पांच बार आरती होती है.

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