डांडिया बिना क्यों अधूरी है नवरात्रि? देवी को प्रसन्न करने की हजारों साल पुरानी परंपरा

Pooja Singh
Oct 01, 2024

लोक नृत्य

डांडिया और गरबा गुजरात के लोक नृत्य का सीधा कनेक्शन मां दुर्गा से है. मान्यता है नवरात्रि में इस नृत्य साधना से भक्त देवी को प्रसन्न करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.

तलवार नृत्य

डांडिया नृत्य में इस्तेमाल होने वाली रंगीन छड़ियां मां दुर्गा की तलवार का प्रतीक मानी जाती हैं. इसलिए इसे तलवार नृत्य भी कहा जाता है. इसमें महिलाएं घाघरा, चोली और ओढ़नी पहनती हैं. पुरुष पारंपरिक धोती- कुर्ता पहनते हैं.

वाद्ययंत्रों की ध्वनियां

इस नृत्य में बजने वाले वाद्ययंत्रों की ध्वनियां युद्ध के मैदान में सुनाई देने वाली धातु की झनकार की याद दिलाती हैं. डांडिया नृत्य देवी और राक्षस के बीच हुए युद्ध को फिर से बनाने का एक सुंदर तरीका है.

समृद्धि का प्रतीक

गरबा या डांडिया नृत्य अलग-अलग तरीके से खेला जाता है. डांडिया नृत्य में जब भक्त डांडिया खेलते है जो इससे देवी की आकृति का ध्यान किया जाता है. जो समृद्धि का प्रतीक माना जाता है.

देवी का ध्यान

डांडिया या गरबा नृत्य से पहले देवी की पूजा होती है. इसके बाद देवी की तस्वीर या प्रतिमा के सामने मिट्टी के कलश में छेद करके दीप जलाया जाता है. फिर उसमें चांदी का सिक्का भी डालते हैं.

पॉजिटिव एनर्जी

इसी दीप की हल्की रोशनी में गरबा या डांडिया नृत्य को भक्त करते है. कहा जाता है कि डांडिया नृत्य के समय डांडिया लड़ने से जो आवाज उत्पन्न होती है. उससे पॉजिटिव एनर्जी आती है.

सकारात्मक ऊर्जा

जीवन की नकारात्मकता भी समाप्त हो जाती है. ठीक ऐसे में गरबा नृत्य के दौरान महिलाएं तीन तालियों का प्रयोग करती है, जिससे सकारात्मक ऊर्जा मिलती है.

पौराणिक परम्परा

नवरात्रि में डांडिया या गरबा खेलना कोई नई परम्परा नहीं है. पौराणिक समय से ही नवरात्र के नौ दिनों में इसे खेला जाता है.

इतिहास

इसका इतिहास राजस्थान और गुजरात से जुड़ा है, लेकिन देवी के भक्त पूरे देश में है इसलिए नवरात्रि में नृत्य का आयोजन सामूहिक तौर पर देशभर में होता है.

डिस्क्लेमर

यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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