घर वाले भी हो गए थे नाराज

एक समय ऐसा भी था कि बिंदेश्वर पाठक की मुहिम से उनके पिता और ससुर भी नाराज हो गए थे. लेकिन बाद में लोगों को उनके अभियान की अहमियत पता चली.

Zee Media Bureau
Aug 15, 2023

UN ने भी दी मान्यता

19 नवंबर 2013 को बिंदेश्वरी पाठक के प्रयास से संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ल्ड टॉयलेट डे को मान्यता दी.

स्वच्छता को बनाया आंदोलन

बिंदेश्वरी पाठक के प्रयास से हर साल वर्ल्ड टॉयलेट डे मनाया जाता है.

पद्म भूषण मिला

डॉ. पाठक को 2003 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था.

गांधी जन्म शताब्दी समारोह में शामिल रहे

1968-69 में गांधी जन्म शताब्दी समारोह समिति के साथ बिंदेश्वर पाठक ने काम किया. समिति ने सस्ती शौचालय तकनीक के लिए उन्हें प्रेरित किया.

देशभर में सुलभ का नेटवर्क

देशभर में 8,500 सुलभ के शौचालय और स्नानघर हैं.

53 साल पुराना सफर

1970 में सुलभ इंटरनेशनल सर्विस ऑर्गनाइजेशन की स्थापना की.

डिस्पोजल कम्पोस्ट शौचालय पेश किया

डॉ बिंदेश्वर पाठक डिस्पोजल कम्पोस्ट शौचालय लेकर आए. इसे कम खर्च में घर के आसपास मिलने वाली सामग्री से बनाया जा सकता है.

2 अप्रैल 1943 को बिंदेश्वर पाठक का जन्म

बिहार के वैशाली जिले के एक गांव में बिंदेश्वर पाठक का जन्म हुआ था.

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