एक समय ऐसा भी था कि बिंदेश्वर पाठक की मुहिम से उनके पिता और ससुर भी नाराज हो गए थे. लेकिन बाद में लोगों को उनके अभियान की अहमियत पता चली.
19 नवंबर 2013 को बिंदेश्वरी पाठक के प्रयास से संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ल्ड टॉयलेट डे को मान्यता दी.
बिंदेश्वरी पाठक के प्रयास से हर साल वर्ल्ड टॉयलेट डे मनाया जाता है.
डॉ. पाठक को 2003 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था.
1968-69 में गांधी जन्म शताब्दी समारोह समिति के साथ बिंदेश्वर पाठक ने काम किया. समिति ने सस्ती शौचालय तकनीक के लिए उन्हें प्रेरित किया.
देशभर में 8,500 सुलभ के शौचालय और स्नानघर हैं.
1970 में सुलभ इंटरनेशनल सर्विस ऑर्गनाइजेशन की स्थापना की.
डॉ बिंदेश्वर पाठक डिस्पोजल कम्पोस्ट शौचालय लेकर आए. इसे कम खर्च में घर के आसपास मिलने वाली सामग्री से बनाया जा सकता है.
बिहार के वैशाली जिले के एक गांव में बिंदेश्वर पाठक का जन्म हुआ था.