यूपी की वो जगह, जहां अभी तक कलियुग नहीं आया

Tatiya Sthan History

पुराणों के मुताबिक, करीब 3114 ईसा पूर्व कलियुग की शुरुआत हो गई थी. कल‍ियुग को लेकर महाभारत ही नहीं पुराणों में पढ़ने का मिलता है. कहा जाता है कि कलियुग लाखों वर्ष का है. लेकिन यूपी में एक ऐसी जगह है, जहां आज भी कलियुग नहीं है.

कौन सी जगह?

यह सुनकर थोड़ा अजीब लग रहा होगा, लेकिन यह सच है. तो आइये जानते हैं इस जगह के बारे में.

टटिया धाम

यूपी के वृंदावन में टटिया धाम एक ऐसी जगह है, जहां ठाकुरजी विराजमान हैं. इस जगह पर अलग ही शांति और मानसिक सुकून मिलता है.

क्‍यों नहीं आया कलयुग?

दरअसल, यहां कलयुग का मतलब मशीनी युग से है. हरिदास संप्रदाय से जुड़ा टटिया ऐसी जगह है जहां साधु संत संसार से विरक्त होकर ध्यान में लीन रहते है.

तकनीकी प्रगति से अछूता

टटिया धाम में विशुद्ध प्राकृतिक सौंदर्य है, जो तकनीकी प्रगति से पूरी तरह अछूता है. यहां ऐसा लगता है जैसे व्‍यक्ति कई शताब्दी पीछे चला गया है.

मोबाइल फोन बैन

यहां किसी भी यंत्र, मशीन या बिजली का इस्‍तेमाल नहीं होता है. मोबाइल फोन आदि तो छोड़‍िये पंखे और बल्‍ब तक नहीं हैं.

पेड़ पत्‍ते

आरती के समय बिहारी जी को पंखा भी पुराने समय की तरह डोरी की मदद से किया जाता है. साथ ही यहां के सारे पेड़-पत्‍ते भी खास है.

पत्‍तों पर राधा का नाम

कहा जाता है कि यहां के पत्‍तों पर राधा नाम उभरा हुआ देखा गया है. टटिया स्थान स्वामी हरिदास संप्रदाय से जुड़ा हुआ है.

बांके बिहारी के भक्‍त

स्वामी हरिदास जी बांके बिहारी जी के अनन्य भक्त थे. उन्होंने प्रेम और दिव्य संगीत का पाठ वृंदावन के पक्षियों, फूलों और पेड़ों से सीखा है.

साफ-सफाई का विशेष ध्‍यान

संत आज भी देह त्‍याग के लिए समाधि लेते है. यहां साफ-सफाई का विशेष ध्‍यान रखा जाता है. संत कुएं के पानी का उपयोग करते है. यहां के साधु संत किसी भी प्रकार की दान दक्षिणा नहीं लेते है.

VIEW ALL

Read Next Story