उत्तराखंड का रुद्रप्रयाग पंच प्रयागों में से एक है. जिसे बेहद पवित्र स्थान माना गया है. मान्यता है कि अलकनंदा और मंदिकिनी के संगम पर स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है.
मंदाकिनी और अलकनंदा नदियों का संगम अपने आप में एक अनोखी खूबसूरती है. इन्हें देखकर ऐसा लगता है मानो दो बहनें आपस में एक दूसरे को गले लगा रहीं हो.
भगवान शिव को रुद्र देव भी कहा जाता है और रुद्रप्रयाग को उसका ये नाम भी भगवान शिव से ही मिला है. यहां शिव और जगदम्बा मंदिर प्रमुख धार्मिक स्थानों में से है.
माना जाता है कि देवर्षि नारद ने संगीत में पारंगत होने के लिए यहां वर्षों महादेव की अराधना की. जिससे प्रसन्न होकर महादेव ने रुद्र अवतार में उन्हें वरदान दिया.
उत्तराखंड के चारधाम जाने वाले तीर्थयात्रियों के लिए रुद्रप्रयाग एक तरह का गेटवे है. यहीं से केदारनाथ और बदरीनाथ के लिए रास्ता जाता है.
रुद्रप्रयाग में रहने के लिए कई होमस्टे और छोटे-छोटे होटल हैं. इसके अलावा गढ़वाल मंडल विकास निगम का रिजॉट भी है.
रुद्रप्रयाग अपनी प्राकृतिक सुंदरता और अनेक प्राचीन मंदिरों को अपने आप में समेटे हुए यहां आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं की पहली पसंद है.
रुद्रप्रयाग में भगवान शिव के 200 मंदिर बनाए गए हैं, जो अति प्राचीन हैं. ये अपने चीड़ के पेड़ों की अधिकता से अपनी सुंदरता में चार चांद लगाते हुए आकर्षित करता है.
रुद्रप्रयाग में आप रुद्रनाथ मंदिर में दर्शन कर सकते हैं. कोटेश्वर मंदिर, मद्महेश्वर, त्रिजुगीनारायण मंदिर और चामुंडा देवी मंदिर भी दर्शन के लिए जा सकते हैं.
रुद्रप्रयाग से कर्णप्रयाग सिर्फ 33 किमी दूर है, जहां अलकनंदा नदी और पिंडर नदी का संगम है. यहां पर उमा मंदिर और कर्ण मंदिर दर्शनीय है.
अगर आप रुद्रप्रयाग में हैं तो यहां से करीब 10 किमी दूर अगस्तमुनि आपको जरुर जाना चाहिए. ये एक छोटा सा लेकिन बहुत ही खूबसूरत और शांत कस्बा है.
गुप्तकाशी का वही महत्व है जो महत्व काशी का है. यहां गंगा और यमुना नदियां आपस में मिलती है. गुप्तकाशी समुद्र तल से 1319 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है.
सोनप्रयाग समुद्र तल से 1829 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. ऐसा कहा जाता है कि सोन प्रयाग के पवित्र पानी को छूने से बैकुठ धाम पहुंचाने में मदद मिलती है.
सोनप्रयाग से केदारनाथ की दूरी 19 किलोमीटर है. मान्यता है कि ये वहीं स्थान है जहां भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था.
बर्फ से ढ़के पर्वतों पर स्थित खिरसू बहुत ही खूबसूरत स्थान है. ये जगह हिमालय के मध्य स्थित है. जिसकी वजह से ये पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है.
सोन प्रयाग से गौरीकुंड की दूरी 5 किमी है. केदारनाथ मार्ग पर गौरीकुंड अंतिम बस स्टेशन है. यहां माता पार्वती ने महादेव को पाने के लिए तपस्या की थी.
ये स्थान चोपटा-ऊकीमठ मार्ग पर है. जो सारी गांव के आरम्भ मार्ग से 2 किलोमीटर की दूरी पर है. ये झील चारों तरफ से वनों से घिरी हुई है.
चोपता गोपेश्वर-ऊखीमठ मार्ग से 40 किमी की दूरी पर है. गढ़वाल क्षेत्र स्थित चोपता यहां के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है. यहां तुंगनाथ का प्राचीन मंदिर है.
रुद्रप्रयाग टाउन से करीब 30 किमी दूर कार्तिकस्वामी मंदिर भी है. यहां से केदारनाथ धाम, बदरीनाथ, धारीदेवी मंदिर भी करीब है.
मार्च से नवंबर तक रुद्रप्रयाग आने का सबसे अच्छा समय होता है. सर्दियों में यहां बर्फबारी से थोड़ी मुश्किलें होती हैं, लेकिन नजारा शानदार होता है.