बिच्छू घास को अलग-अलग जगह पर अलग-अलग नामों से जाना जाता है.
उत्तराखंड में इसे सिसूण या कंडाल कहा जाता है.
इसका वानस्पतिक नाम अर्टिका डाईओका है. जिसकी कई प्रजातियां दुनियाभर में हैं.
इसमें कांटेदार रोंए होते हैं, जिनको छूते ही बिच्छू के काटने जैसा दर्द होता है.
हालांकि यह कई औषधीय गुणों से भरपूर होती है.
इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, सोडियम, कैल्शियम, आयरन और विटामिन पाए जाते हैं.
इसका उपयोग चिकित्सा के साथ स्वाद के तौर पर भी किया जाता है.
शरीर में सूजन वाली जगह पर इसको लगाने से फौरन आराम मिलता है.
इसके अलावा यह शरीर की जकड़न और पित्तदोष में भी असरदार मानी जाती है.
इसके बीज का सेवन पेट संबंधी समस्याओं को दूर करते हैं.
साथ ही इसका साग पीलिया और मलेरिया जैसी बीमारियों से लड़ने में मददगार है.
ये लेख सामान्य जानकारी पर आधारित है, जी न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता है.