वाराणसी, जिसे काशी और बनारस भी कहा जाता है. भारत के यूपी में गंगा नदी के तट पर एक प्राचीन नगर है. सनातन धर्म में ये महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थल है. बौद्ध और जैन धर्मों का भी एक तीर्थ है.
वाराणसी का पुराना शहर, गंगा तीरे का लगभग चौथाई भाग है, जो भीड़-भाड़ वाली संकरी गलियों और किनारे सटी हुई छोटी-बड़ी असंख्य दुकानों व सैंकड़ों हिन्दू मंदिरों से पटा हुआ है.
सनातन मान्यता में इसे 'अविमुक्त क्षेत्र' कहा जाता है. वाराणसी संसार के प्राचीन बसे शहरों में से एक है. तीर्थस्थल होने की वजह से दुनियाभर से बड़ी संख्या में पर्यटक यहां आते हैं. कई लोग यहां बसने भी आते हैं.
कई लोग वाराणसी में घर खरीदने की चाह रखते हैं ऐसे में यहां घर खरीदने के लिए कई लोकप्रिय इलाके हैं. जिनमें लंका, पांडेयपुर, सिगरा, शिवपुर, सुंदरपुर घर किराए पर लेने के लिए सबसे लोकप्रिय इलाके हैं.
लंका वाराणसी का सबसे विकसित क्षेत्र बन गया है. यहां बिल्डर्स कम से कम 12 से 13 मंजिला इमारतें बना रहे हैं. इससे पर्यटकों का आकर्षण बढ़ता है और विकास के उच्च स्तर का संकेत मिलता है. ये इलाका सबसे महंगा है.
वाराणसी शहर के सबसे महंगे इलाकों में शिवपुर भी शामिल है. जो लोग बनारस में बसना चाहते हैं, उनके लिए ये इलाका उनका मनपसंद इलाका है. यहां रोजगार के अवसर भी आसानी से मिल जाते हैं.
अगर वाराणसी के महंगे मोहल्ले का जिक्र किया जाए तो उनमें हैदराबाद गेट का नाम भी शुमार है. यहां देश-विदेश से पर्यटक तो आते ही है साथ ही दूसरे राज्यों से भी लोग बड़ी संख्या में आते हैं.
बौद्ध परंपरा के अनुसार, सारनाथ वह स्थान है जहां, लगभग 528 ईसा पूर्व, 35 वर्ष की आयु में, गौतम बुद्ध ने बोधगया में ज्ञान प्राप्त करने के बाद अपना पहला उपदेश दिया था.
ये रामनगर दुर्ग के लिए जाना जाता है, जो काशी नरेश का आधिकारिक और पैतृक आवास है. काशी नरेश वाराणसी शहर के मुख्य सांस्कृतिक संरक्षक एवं सभी धार्मिक क्रिया-कलापों के अभिन्न अंग हैं. ये इलाका भी काफी महंगा है.