परशुराम त्रेता युग माता सीता के स्वयंवर में उनकी भेंट श्रीराम से होती है. द्वापर में वे भीष्म से युद्ध करते हैं और श्रीकृष्ण को सुदर्शन चक्र प्रदान करते हैं.
हनुमान द्वापर युग में भीम और अर्जुन का घमंड तोड़ते हैं. श्रीकृष्ण भी बलराम, गरुड़, सुदर्शन चक्र और सत्यभामा का अभिमान भंग करवाते हैं. वो अर्जुन के रथ पर विराजमान रहते हैं.
गरुड़ सतयुग में भगवान विष्णु के वाहन थे. रामायण में श्री राम और लक्ष्मण को नागपाश से मुक्त करने में वानर सेना की मदद की थी.
रावण के छोटे भाई और श्रीराम के भक्त विभीषण भी ऐसे ही एक महारथी हैं. महाभारत काल में सहदेव ने इनसे मिलकर दिग्विजय के लिए स्वीकृति प्राप्त की थी.
जाम्बवंत रामायण काल में भगवान राम को लंका पर जीत दर्ज करने में मदद करते हैं. श्रीकृष्ण से युद्ध करने के बाद इन्होंने अपनी पुत्री जाम्बवन्ती का विवाह भगवान कृष्ण से करवाई.
महर्षि लोमश ने त्रेता युग में राजा दशरथ को उपदेश दिया. तो वहीं द्वापर युग में युधिष्ठिर और पांडवों को आशीर्वाद देने इन्द्रप्रस्थ आते हैं.
महर्षि दुर्वासा माता अनुसूया और महर्षि अत्री के पुत्र हैं. त्रेता युग में श्रीराम से मिलने के बाद भगवान राम पारिजात वृक्ष को घरती पर लाए थे. तो वहीं महाभारत में भी कौरवों और पांडवों से मिले.
बाणासुर रामायण काल में रावण के परम मित्र थे. सीता का स्वयंवर देखने के लिए भी गए. द्वापर युग में श्रीकृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध को बंदी बनाया.
मय दानव रामायम काल में रावण के ससुर थे. तो वहीं महाभरत काल में उन्होंने श्रीकृष्ण की द्वारिका और पांड़वों के इंद्रप्रस्थ का निर्माण किया था.
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