सावन का महीना चल रहा है, जिसमें भगवान शिव की भक्ति में भक्त लीन हैं. ऐसे में क्या खाएं और क्या न खाएं ये सवाल हर शिव भक्त के मन में उठते हैं.
आज हम चाणक्य नीति में उन सात खाद्य पदार्थों का जिक्र करेंगे, जिन्हें आचार्य चाणक्य ने पवित्र बताया है. जिन्हें खाकर आप पूजा-पाठ कर सकते हैं.
इक्षुरापः पयो मूलं ताम्बूलं फलमौषधम्। भक्ष्यित्वापि कर्तव्यः स्नान दानादिकाः क्रियाः।। इसमें चाणक्य ने बीमार, भूखे लोगों के लिए शास्त्र सम्मत बातें बताई.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि शास्त्रों में जल, गन्ना, दूध, कंद, पान, फल और औषधियों को अत्यंत पवित्र बताया गया है.
आचार्य चाणक्य कहते हैं जल, गन्ना, दूध, कंद, पान, फल और औषधियों का सेवन करने के बाद भी व्यक्ति धार्मिक कार्य और अनुष्ठान कर सकता है.
आचार्य चाणक्य कहते हैं जल, गन्ना, दूध, कंद, पान, फल और औषधियों के सेवन से पूजा-पाठ में किसी तरह की कोई भी बाधा नहीं आती है.
आमतौर पर भारतीयों में यह मान्यता है कि स्नान, ध्यान आदि करने के बाद ही फल और औषधि का सेवन करना चाहिए.
चाणक्य कहते हैं कि बीमारी या किसी अन्य स्थिति में दूध, पानी, कंद, फल और औषधि का सेवन किया जा सकता है. इसमें कोई पाप नहीं है.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि इन चीजों के सेवन के बाद स्नान आदि करके पूजा-पाठ और धार्मिक क्रियाकलाप करना अनुचित नहीं है.
यहां दी गई जानकारियां लोक मान्यताओं/ चाणक्य नीति पर आधारित हैं. इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. Zeeupuk इसकी किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है.