जानकारों की मानें तो इस पुल में सीमेंट और सरिया का प्रयोग नहीं किया गया है. इसे चूना, दाल का पानी, गुड़ के सीरे का इस्तेमाल कर बनाया गया है.
बड़े-बड़े इंजीनियर इस पुल को देखकर आश्चर्यचकित हो जाते हैं. जानकारों की मानें तो इस पुल में सीमेंट और सरिया का प्रयोग नहीं किया गया है.
यह पुल कानपुर के मेहरबान सिंह पुरवा गांव के पास बना हुआ है.
बताया गया कि इस पुल को 1915 के करीब अंग्रेजों ने बनवाया था. यह अनोखा पुल 100 साल से ज्यादा पुराना हो चुका है.
नीचे नदी ऊपर नहर ऐसा नायाब इंजीनियरिंग का नमूना शायद ही आपने कहीं देखा हो.
इस पुल के नीचे से पाण्डु नदी बह रही है, तो वहीं पुल के ऊपर नहर बह रही है.
खास बात है कि कोई भी इस पुल को देखता है तो अचरज में पड़ जाता है कि आखिर इस तरह की डिजाइन कैसी की गई होगी.
आज भी यह पुल चट्टान की तरह मजबूत है. यह सिर्फ पुल ही नहीं बल्कि इंजीनियरिंग का एक नायाब नमूना है.
खास बात यह है कि इस पुल को बनाने में सीमेंट आदि का इस्तेमाल नहीं किया गया है. इसे दाल के पानी और गुड़ के सीरे से बनाया गया है.
पुल बनने के कुछ समय बाद जर्जर होने लगते हैं, यूपी में एक ऐसा पुल है जो 100 साल बाद भी नया जैसे ही है.