भगवान राम और रावण के युद्ध के दौरान जब लक्ष्मण जी को शक्ति लगी तो सुषेन वैद्य ने हुनमान जी से संजीवनी बूटी लाने को कहा. हनुमान जी संजीवनी बूटी को पहचान नहीं पाए तो पूरा द्रोणागिरी पर्वत ही उठा लाए थे.
लेकिन क्या आप जानते हैं कि लक्ष्मण जी के ठीक करने के लिए हनुमान जी जिस पहाड़ को उठाकर लाए थे वो कहां से लाया गया था? और अब वो पर्वत कहां है?
भगवान राम और रावण के युद्ध के दौरान लक्ष्मण जी के शक्ति लगने और फिर हनुमान जी के संजीवनी बूटी लाने का प्रसंग हर किसी ने सुना है. लेकिन, क्या आप..
लेकिन, क्या आप जानते हैं कि इसके बाद संजीवनी पर्वत का क्या हुआ? और द्रोणागिरी पर्वत के लोग आज भी हनुमान जी से इतने नाराज क्यों हैं और आज भी उनकी पूजा क्यों नहीं करते?.
भगवान श्रीराम की कथाओं के अनुसार संजीवनी बूटी गंभीर से गंभीर बीमारी का इलाज कर सकती थी. माना जाता है कि हनुमानजी ने संजीवनी पर्वत को टुकडे़ करके लंका में कई जगह डाल दिया था.
माना जाता है कि ये पर्वत आज भी श्रीलंका में मौजूदा हैं. यह पहाड़ श्रीलंका के पास रूमास्सला पर्वत के नाम से जाना जाता है.
श्रीलंका में उनावटाना बीच संजीवनी पर्वत के पास ही है. श्रीलंका के दक्षिण समुद्री किनारे पर कई जगहों पर हनुमान जी के लाए हुए पहाड़ के टुकड़े गिरे हैं
हनुमान जी जिस द्रोणागिरी पर्वत को उठाकर लंका ले गए थे, वो उत्तराखंड के चामोली जिले में जोशीमठ से करीब 50 किमी दूर मौजूद नीति गांव में है.
द्रोणागिरी पर्वत को नीति गांव के लोग देवता मानते हैं. यहां के लोगों का कहना है कि हनुमानजी पूरे द्रोणागिरी पर्वत को नहीं ले गए थे, बल्कि पर्वत का एक हिस्सा उखाड़कर ले गए थे.
स्थानीय लोगों का मानना है कि हनुमान जी ने जब द्रोणागिरी पर्वत का एक हिस्सा उखाड़ा तो उस समय देवता साधना कर रहे थे. इस वजह से उनकी साधाना भंग हो गई.
इतना ही नहीं लोग ये भी कहते हैं कि हनुमान जी ने पहाड़ देवता की दाईं भुजा उखाड़ दी थी. यही कारण है कि नीति गांव के लोग आज भी हनुमान जी की पूजा नहीं करते हैं.
द्रोणागिरी पर्वत की ऊंचाई 7,066 मीटर है. यहां शीतकाल में भारी बर्फबारी होती है. इस वजह गांव के लोग यहां से दूसरी जगह रहने के लिए चले जाते हैं. गर्मी के समय जब यहां का मौसम रहने योग्य होता है तो गांव के लोग वापस यहां रहने के लिए आ जाते हैं.
हर साल जून में गांव के लोग द्रोणागिरी पर्वत की विशेष पूजा करते हैं. इस पूजा में गांव के लोगों के साथ ही यहां से अन्य राज्यों में रहने गए लोग भी शामिल होने आते हैं.
यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.