अगर आप कोई ऐसी ऑफबीट जगह पर घूमने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो एक बार यहां भी जरूर जाएं. मौसम किसी भी तरह का हो, उत्तराखंड की खूबसूरती के आगे हर विदेशी जगह भी फेल है.
आज हम आपको एक ऐसी जगह के विषय में बताने जा रहे हैं जहां पहाड़ हैं, मस्त मौसम है और मन शांत करने के लिए प्रकृति की खूबसूरती भी है. सबसे बड़ी बात कि ये यहां भागमभाग नहीं बल्कि शांति है क्योंकि ये खूबसूरत गांव है.
उत्तराखंड की में बसे इस गांव का नाम कलाप है, जो गढ़वाल क्षेत्र में स्थित है. ये गांव रूपिन नदी के किनारे 7800 फीट की ऊचाई पर स्थित है. यह उत्तराखंड की टन्स घाटी में स्थित है.
कलाप गांव प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग माना जाता है. शुद्ध वातावरण, नीले-नीले आकाश, क्रिस्टल से भी साफ नदियों का पानी और ठंडी हवाएं खूबसूरती में चार चांद लगाने का काम करती हैं.
ये जगह काफी दुर्गम मानी जाती है. यही वजह है कि यहां जो कुछ भी लोग खाते-पीते या पहनते हैं, वो सब कुछ कलाप में ही बनता है. कलाप के लोगों का खान-पान बहुत ही साधारण है. यहां के लोग लिंगुड़ा, लेकप पपरा, बिच्छू घास और जंगली मशरूम का सेवन अधिक करते हैं. इस गांव में खसखस, गुड़ और गेहूं के आटे को मिलाकर एक खास डिश बनाई जाती है.
इस गांव की अद्भुत खूबसूरती और रामायण व महाभारत से खास कनेक्शन के चलते इसे ट्रैवल डेस्टिनेशन के तौर पर विकसित किया जा रहा है.
कलाप गांव सिर्फ अपनी खूबसूरती के लिए ही नहीं, बल्कि कई पौराणिक कहानियों से के लिए भी जाना जाता है.इस अद्भुत गांव के बारे में कहा जाता है कि यहां के लोग महाभारत के पांडवों और कौरव भाइयों के वंशज हैं.
कलाप में मुख्य मंदिर पांडव भाइयों में से एक कर्ण को समर्पित है. कलाप गांव में कर्ण को समर्पित एक प्रसिद्ध और पवित्र मंदिर भी है. इस गांव में कर्ण महाराजा उत्सव नाम का एक त्योहार भी मनाया जाता है.
कलाप गांव के सबसे पास का रेलवे स्टेशन देहरादून है. ये यहां से करीब 210 किलोमीटर दूर है. आप देहरादून से लोकल बस या कैब लेकर पहुंच सकते हैं. इसके अलावा, जौली ग्रांट एयरपोर्ट सबसे पास में एयरपोर्ट है. कलाप दिल्ली से करीब 575 किमी दूर है.
लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि स्वयं करें. एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.