आप लोग उत्तराखंड़ की बहुत सी खूबसूरत जगहों पर घूमने गए होंगे लेकिन आज हम आपको उत्तराखंड का ही नहीं बल्कि भारत के सबसे पहले गांव के बारे में बताएंगे.
उत्तराखंड के चमोली ज़िले में स्थित भारत के पहले गांव का नाम माणा है जिसका इतिहास कई हजार सालों पुराना है.
यह माणा गांव भारत-चीन सीमा से 24 किमी दूर है. समुद्र तल से 3,219 मीटर की ऊंचाई पर सरस्वती नदी के किनारे बसा है
यहां देखने के लिए बहुत कुछ है जैसे सरस्वती और अलकनंदा नदियों का भी संगम, प्राचीन मंदिर, गुफाएं और भी ना जाने क्या-क्या.
इस गांव को पहले भारत का आखरी गांव बोला जाता था पर 2022 में प्रधानमंत्री मोदी ने इसका नाम बदल कर भारत का पहला गांव माणा रखा.
ये बद्रीनाथ से तीन किमी की दूरी पर है पहले यहां की सड़कें कच्ची थी. अब यहां पक्की सड़कें बन चुकी है.
कुछ लोगों का कहना है कि माणा गांव का नाम 'मणिभद्र आश्रम' से लिया गया है. ग्रामिणों का माना है कि मणिभद्र यक्ष देवता गांव के रक्षक है.
यह भी कहा जाता है कि पांडव स्वर्ग की यात्रा के दौरान इसी गांव से गुज़रे थे. यह भीम पुल भी है जिसे भीम ने बनाया था.
माणा गांव में व्यास पोथी नाम का एक स्थान है, जहां महाभारत के रचनाकार महर्षि वेद व्यास की गुफ़ा है.
इसके पास ही गणेश गुफ़ा है, जहां मान्यता है कि व्यासजी ने महाभारत को मौखिक रूप दिया था और गणेशजी ने उसे लिखा था.
इस गांव में भोटिया लोगों के करीब 150 परिवार रहते हैं. कहा जाता है कि यहां जाने से धन से जुड़ी समस्याएं दूर हो जाती हैं